स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे की जाती है | Strawberry Farming In India 2024

स्ट्रॉबेरी की खेती शीतोषण, उपोषण तथा उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जाता है इसका लगभग 96% भाग खाने योग्य होता है इसकी खेती पहाड़ी क्षेत्रों से ज्यादा मैदानी क्षेत्रों में की जाती है स्ट्रॉबेरी को पॉलीहाउस या  हाइड्रोपोनिक्स तरीके तरीकों द्वारा उगाया जाता है. स्ट्रॉबेरी की खेती उत्तम जल निकास वाली हल्की दोमट भूमि में सुगमता से की जा सकती है।

स्ट्रॉबेरी का वानस्पतिक नाम फ्रेगोरिया एनानासा और कूल रोजेसी होता है. स्टोबेरी एक बेरी प्रकार का फल है. जिसमें गुणसूत्रों की संख्या 56 पाई जाती है. स्ट्रॉबेरी एक मानव रचित संकर फल है।

Table of Contents

भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती कहां होती है (Strawberry Farming In India)

भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती पहाड़ों में मुख्य रूप से की जाती है भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती के मुख्य केंद्र महाराष्ट्र में महाबलेश्वर, वाई और पंचगनी, तथा उत्तराखंड में नैनीताल और देहरादून, इसके अलावा हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में की जाती है।

भारत में स्ट्रॉबेरी लगाने का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु का माना जाता है (मार्च से अप्रैल तक) तथा फलों की तोड़ाई जून से सितंबर के बीच की जाती है. यदि आप अन्य स्थानों पर स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं तो आप ग्रीनहाउस या पॉलीहाउस में कहीं भी कर सकते हैं।

भारत में किसानों के लिए स्ट्रॉबेरी की खेती एक लाभदायक और फायदेमंद व्यवसाय हो सकता है. अगर आप नई फसल लगाने की सोच रहे हैं तो स्ट्रॉबेरी एक बहुत अच्छा विकल्प है।

स्ट्रॉबेरी की खेती क्यों करें?

खेती तो सभी करते हैं परंतु जो वर्तमान में पब्लिक की मांग को ध्यान में रखकर खेती करता है वह हमेशा मुनाफे में रहता है. जैसा कि आप वर्तमान में देख सकते हैं जिसने टमाटर की खेती को सही समय पर बेचने के लिए रखा हुआ था वह इस समय लखपति या करोड़पति बन चुके हैं।

जिस में टमाटर के दाम बढ़ना में एक मुख्य कारण बना. इसी प्रकार हम आपको बता रहे हैं कि स्टोबेरी की कीमत पूरे वर्ष बहुत अच्छी मिलती है इसलिए आप स्ट्रॉबेरी की खेती करके लाखों रुपए कमा सकते हैं. परंतु इससे पहले आपको स्ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है तो आइए जानते हैं स्ट्रॉबेरी की खेती करके कैसे लाखों रुपए कमा सकते हैं।

स्ट्रॉबेरी में पोषक तत्व जानिए (प्रति 100 ग्राम)

  • प्रोटीन – 0.7 ग्राम
  • वसा – 0.2 ग्राम
  • रेशा – 1.1 ग्राम
  • कार्बोहाइड्रेट – 9.8 ग्राम
  • कैल्शियम – 30 मिलीग्राम
  • फास्फोरस – 30 मिलीग्राम
  • लोहा – 1.8 मिलीग्राम
  • विटामिन ए – 30 IU
  • थियामाइन – 0.03 मिलीग्राम
  • राइबोफ्लेविन – 0.02 मिलीग्राम
  • निकोटीन अम्ल – 0.2 मिलीग्राम
  • विटामिन सी – 52 मिलीग्राम
  • पानी – 87.8 ग्राम
  • खनिज लवण – 0.4 मिलीग्राम
  • कैलोरी – 44

स्ट्रॉबेरी की किस्में

चांडलर – कैलिफोर्निया से 1983 में विकसित इस प्रजाति की गुणवत्ता बहुत उच्च स्तर की होती है इसके फल संसाधन एवं ताजे फलों के लिए उपयुक्त होती है. यह अधिक उपज देने वाली अल्प दिवस प्रजाति है।

सेल्वा – यह प्रजाति प्रकाश काल के लिए असंवेदनशील होती है. इस किस्म की यह खास बात होती है कि यह बेमौसम में फल देने की क्षमता रखती है और इसकी भंडारण क्षमता भी अधिक होती है।

बेलरूबी – यह पोचा होंतास तथा रेड कोट से संकरण कराके फ्रांस में उत्पन्न किया गया है यह अधिक मुनाफा देने वाली किस्म है. क्योंकि इसके फल आकार में बड़े और रसदार तथा सुगंधित होते हैं।

चौबटिया अभिचल – इसका विकास प्रीमियर तथा स्पीस सीडलिंग के संकरण से किया गया है।

अन्य किस्में –

  • टियोगा
  • टोरी
  • डगलस
  • गोरिल्ला
  • फर्न
  • टेंपलर
  • रिच रेड
  • मरीना
  • मीरा
  • टैंगो
  • स्वीट चार्ली
  • सुपर कोप
  • पजारों
  • प्रीमियम
  • फ्लोरिडा-90
  • कटरायन स्वीट
  • एडिना
  • करिज्मा
  • पूसा अली ड्राप
  • तियोगा

स्ट्रॉबेरी भूमि जानकारी

यह सभी प्रकार की भूमि के लिए उपयुक्त फसल है स्ट्रॉबेरी की खेती उत्तम जल निकास वाली हल्की दोमट भूमि में सुगमता से की जा सकती है इसकी खेती के लिए उपयुक्त पीएच मान 5.8 से 6.5 तक होना चाहिए।

जलवायु

स्ट्रॉबेरी की खेती में जलवायु का बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि यदि आप उपयुक्त जलवायु के अनुसार स्टोबेरी की खेती नहीं करते हैं तो आपको नुकसान हो सकता है. स्ट्रॉबेरी की बागवानी के लिए शीतोषण तथा समशीतोष्ण जलवायु अधिक उपयुक्त होती है. परंतु उपोषण जलवायु में आसानी से उगाई जा सकती है. इसकी खेती के लिए उपयुक्त तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त होता है।

खेत की तैयारी कैसे करें?

स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए सबसे पहले आपको एक उपयुक्त स्थान चुनना चाहिए पर जल निकास की उचित व्यवस्था हो. इसके बाद मिट्टी को जोतकर ढीली और भुरभुरी कर लेना चाहिए ताकि जड़े आसानी से उसने घूस सके।

चुनी गई भूमि पर प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे तक सूर्य प्रकाश प्राप्त होना चाहिए। जुताई के बाद बचे हुए खरपतवार व अन्य मलबे को हटा देना चाहिए खेत में 300 कुंटल पुरानी सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर उसकी जुताई कर देनी चाहिए। इसके बाद कल्टीवेटर से खेत की तीन बार ऑडी तिरछी गहरी जुताई करने के बाद खेत को समतल कर देते हैं।

स्ट्रॉबेरी को ऊंचे सबसे ऊंचे बिस्तरो पर सबसे अच्छा उगाया जाता है क्योंकि ऊंचाई पर जल निकासी की कोई समस्या नहीं होती है और खरपतवार को निकलना भी आसान होता है।

स्ट्रॉबेरी बेड कैसे तैयार करें?

खेत तैयार होने के बाद स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए बैड तैयार करने होते हैं इसकी जानकारी दी गई है इन को ध्यान में रखकर स्ट्रॉबेरी के बेड़ तैयार करें।

  • हानिकारक खरपतवार और मलबे को हटा दें.
  • खेत को समतल करके जल निकास की व्यवस्था करें।
  • डंडे और डोरी का प्रयोग करके बिस्तरो को 3 फीट चौड़ा और 6 फीट लंबा होना चाहिए।
  • बिस्तर की लंबाई के साथ एक खाई खोदे। खाई 6 इंच गहरी और 12 इंच चौड़ी होनी चाहिए।
  • खाई को खाद और खाद के मिश्रण से भर दे।
  • स्ट्रॉबेरी को खाई से 12 इंचकी दूरी पर रोपना चाहिए।
  • इसके बाद स्टोबेरी को अच्छे से पानी दे देना चाहिए।
  • पौधों के लिए 20 से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर छेद करने चाहिए।

स्ट्रॉबेरी सिंचाई विधि

पौधे लगाने के तुरंत बाद ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिंचाई की जाती है इसके बाद शीत ऋतु में 12 से 14 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते हैं तथा गर्मियों में 6 से 7 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जाती है. जब स्टोबेरी में फल आने लगे उस समय सूक्ष्म फुवारे से सिंचाई करनी चाहिए। और फल आने के बाद टपका विधि से सिचाई करें जिससे फल खराब नहीं होते है।

स्ट्रॉबेरी की खेती में पाले से अधिक नुकसान होता है इसीलिए इससे बचने के लिए टनल का इस्तेमाल करना चाहिए यह प्लास्टिक पारदर्शी होते हैं या आप पॉलीहाउस का भी प्रयोग कर सकते हैं।

खाद एवं उर्वरक

फसल रोपण से पहले 300 कुंटल गोबर की खाद देनी चाहिए इसके अलावा 100 किलोग्राम नाइट्रोजन 120 किलोग्राम फास्फोरस तथा 80 किलोग्राम पोटाश की प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है. रोपण के समय फास्फोरस की पूरी तथा पोटाश की आधी मात्रा देनी चाहिए इसके बाद नाइट्रोजन तथा पोटाश शेष मात्रा दे देनी चाहिए।

पादप नियंत्रकों का प्रयोग

फसल रोपाई करने के 65 दिन बाद जिब्रेलिक एसिड के 100 पी पी एम घोल का छिड़काव करने से उपज में बहुत अधिक वृद्धि होती है. और साथ ही फलों की गुणवत्ता एवं भूस्तरीयो की संख्या में भी वृद्धि होती है।

स्ट्रॉबेरी की तुड़ाई

उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में स्ट्रॉबेरी फरवरी से पटना आरंभ हो जाती है तथा अप्रैल तक धीरे-धीरे उपज मिलने लगती है फलों को उस समय तोडना उचित रहता है जब स्ट्रॉबेरी का रंग लगभग 70% लाल हो जाता है. या आप मार्केट की दूरी के अनुसार भी इसकी तोड़ाई कर सकते हैं।

स्ट्रॉबेरी की पैकिंग

स्टोबेरी एक नाजुक फल होता है इसलिए इसको प्लास्टिक की प्लेटों में पैकिंग किया जाता है पैकिंग करने के बाद इन्हें हवादार स्थानों में रखा जाता है जहां पर तापमान 5 डिग्री सेल्सियस के आस पास होता है।

स्ट्रॉबेरी की पैदावार

स्ट्रॉबेरी की फसल से एक हेक्टेयर से सामान्यता लगभग 100 से 200 कुंतल तक फलों का उत्पादन प्राप्त हो जाता है. हालांकि इसकी पैदावार अनेक बातों पर निर्भर करती है जैसे उगाई जाने वाली किस्म कौन सी है जलवायु और मर्दा कैसी है पौधे से पौधे की दूरी कितनी है जल प्रबंधन किस प्रकार किया गया है और फसल की देखभाल तथा फसल कितने क्षेत्रफल पर की गई है आदि।

स्ट्रॉबेरी की पैदावार बढ़ाने के कुछ बिंदु

  • अपनी जलवायु और परिस्थितियों के अनुसार किस्म का चुनाव करें।
  • अच्छी फसल पैदावार लेने के लिए स्ट्रॉबेरी को प्रतिदिन कम से कम 6 घंटे धूप लगनी चाहिए।
  • स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए 5.5-6.5 पीएच वाली रेतीली और जल निकासी वाली मिट्टी स्ट्रॉबेरी की खेती करें।
  • रोपनी से पहले मिट्टी को खाद और उर्वरक देना चाहिए।
  • स्ट्रॉबेरी को 12 से 18 इंच की दूरी पर लगाना चाहिए।
  • नियमित रूप से खाद डालें बढ़ते मौसम के दौरान संतुलित उर्वरक देना चाहिए।
  • एन पी के का अनुपात 12-12-12 उर्वरक देना चाहिए.
  • अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत में नमी बनी रहनी चाहिए. अधिक पानी नहीं देना चाहिए।
  • स्ट्रॉबेरी कई कीटो और बीमारियों के प्रति संवेदनशील होती है. फिर भी किसी भी प्रकार के कीट या बीमारी का प्रकोप होने पर नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएं।
  • स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए मल्चिंग का प्रयोग जरूर करें। या स्ट्रॉबेरी के पौधों के चारों ओर गीली घास की 2 से 3 इंच की परत लगा दे.

स्ट्रॉबेरी की खेती से संबंधित FAQ

प्रशन: स्ट्रॉबेरी का बीज कहाँ मिलेगा?

उत्तर: स्ट्रॉबेरी का बीज बहुत आसानी से आप ऑनलाइन माध्यम (अमेज़न) से खरीद सकते हैं।

प्रशन: स्ट्रॉबेरी कितने रुपए किलो है?

उत्तर: स्टोबेरी का औसतन भाव 250 से ₹300 प्रति किलो होता है।

प्रशन: स्ट्रॉबेरी कितना खाना चाहिए?

उत्तर: स्ट्रॉबेरी को खाने से पहले अच्छी तरह धो लेना चाहिए। स्ट्रॉबेरी ताजा या जमी हुई खाए. 1 दिन में एक कप स्ट्रॉबेरी खाने का सुझाव दिया जाता है।

प्रशन: स्ट्रॉबेरी के लिए कौन सा महीना सबसे अच्छा है?

उत्तर: स्टोबेरी के लिए सबसे अच्छा महीना इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां रहते हैं सामान्य तौर पर स्ट्रॉबेरी के लिए वसंत ऋतु (मार्च से जून) तक का होता है।

प्रशन: स्ट्रॉबेरी फल क्या होता है?

उत्तर: स्टोबेरी एक बेरी प्रकार का फल है. यह मांसल भाग पौधे के अंडाशय से नहीं बल्कि अंडाशय को धारण करने वाले पात्र से प्राप्त होता है इसके बीज फल के बाहर स्पष्ट रूप में दिखाई देते हैं।

प्रशन: स्ट्रॉबेरी की खेती से कमाई

उत्तर: भारत में 1 एकड़ स्ट्रॉबेरी की खेती से कुछ खर्च आने के बाद कमाई उससे ज्यादा हो जाती है क्योंकि बाजार में स्ट्रॉबेरी की अच्छी कीमत मिलती है सही मौसम पर बुवाई और अच्छी देखभाल के साथ 1 वर्ष में एक एकड़ खेत से कम से कम 12 लाख रुपए तक की कमाई की जा सकती है।

निष्कर्ष: –

हम आशा करते हैं कि आपके लिए समक्ष प्रस्तुत किए गए लेख स्ट्रॉबेरी की खेती कैसे की जाती है (Strawberry Farming In India 2024) जानकारी को पढ़ने के बाद आपको बहुत लाभ होगा अगर यह पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने मित्र जनों के साथ जरूर साझा करें।

और अपने सुझाव विचार या खेती से जुड़े किसी भी प्रकार के प्रश्न को हम से पूछना ना भूले और इस प्रकार की रोचक और लाभकारी जानकारी पढ़ने के लिए कृपया  agriculturetree.com विजिट जरूर करें {जय जवान जय किसान}

इन्हें भी पढ़ें: –

Leave a Comment