जैविक खेती का विकास | Jaivik Kheti Ka Vikas In Hindi 2024

जैविक खेती का विकास पूरी दुनिया की जरुरत बन गई है इसलिए हम आपको इस आर्टिकल में जैविक खेती के विकास से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी बताने जा रहे है जैसे – जीवन धारण कृषि, टिकाऊ कृषि,आत्मनिर्भर,लागत में कमी,जैविक खेती का महत्व, जैविक खेती का विकास, जैविक खेती के उद्देश्य, जैविक खेती के कार्य, कम पानी की आवश्यकता, मिट्टी को जैविक मिट्टी की खेती में बदलना, आदि।

Table of Contents

जैविक खेती परिचय (Organic Farming Introduction)

प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को (इकोनॉमी सिस्टम) को प्रभावित कर रहा है जिससे कि भूमि की उर्वरा शक्ति दिन पर दिन खराब होती जा रही है और वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है।

जिससे अनेक प्रकार की बीमारियां बढ़ रही है जिसके दुष्प्रभाव के कारण मनुष्य के स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है और अनेक प्रकार की बीमारिया जन्म ले रही है और मनुष्य की आयु बहुत कम हो गई है।

जैविक खेती या (ऑर्गेनिक फार्मिंग) में हम रासायनिक खादों जहरीले कीटनाशकों के प्रयोग के स्थान पर हम प्राकृतिक में पाए जाने वाले जैविक खाद और दवाइयों घरेलू सामान जैसे नीम गोबर की खाद गो मूत्र आदि के द्वारा किया जाता है और इनके प्रयोग से अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जाता है।

इनके प्रयोग से भूमि जल प्राकृतिक वातावरण शुद्ध रहता है और मनुष्य में होने वाली नए-नए बीमारियों से बचा जा सकता है प्रत्येक व्यक्ति को जैविक खेती जरूर अपनानी चाहिए यह घर पर बहुत आसानी से कम खर्च करके की जा सकती है तो आइए जानते हैं।

जैविक खेती का विकास (Development of Organic Farming)

जैविक खेती के द्वारा उत्पादन करने से लागत कम आती है साथी कृषक अधिक आय प्राप्त होती है जैविक खेती के द्वारा उत्पादन की बाजार में अधिक मांग और अधिक कीमत मिलती है क्योंकि इसका प्रयोग करने से कोई भी शरीर को हानि नहीं पहुंचती है शरीर रसायनिक जहरीले पदार्थों से सुरक्षित रहता है।

इसलिए ग्राहक अच्छे दामों पर खरीदने के लिए भी तैयार रहता है क्योंकि सभी को स्वस्थ सुंदर जीवन जीने की आवश्यकता है जैविक खेती बड़े स्तर जैसे खेतों पर और छोटे स्तर जैसे किचन गार्डन में की जा सकती है।

इस समय भारत में लगभग 60 लाख हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्रफल में जैविक खेती की जा रही है इस मामले में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सबसे आगे निकल गए हैं भारत में जैविक खेती अभी प्रारंभिक अवस्था में है सभी जैविक क्षेत्रों को मिलाकर देखा जाए तो 107.5 मिलियन हेक्टेयर ऑर्गेनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड (2021) किया गया है जो भारत के लिए खुशी की बात है।

जैविक खेती विकास के उद्देश्य (Objectives of organic Farming Development)

जैविक खेती विकास के कुछ महत्वपूर्ण उद्देश्य निम्नलिखित है।

जीवन धारण कृषि

जैविक खेती का मुख्य उद्देश्य है जीवन धारण कृषि जिसमें आपका जीवन आसानी से चल सके कोई भी परेशानी ना हो कृषि के साथ साथ पशुपालन भी की जा सकती है और आप कीटनाशक रासायनिक खादों का प्रयोग ना करें।

टिकाऊ कृषि

टिकाऊ कृषि में भूमि में पाए जाने वाले पोषक तत्व का विशेष ध्यान रखा जाता है ऑर्गेनिक फार्मिंग के द्वारा पोषक तत्व को सुरक्षित रखा जा सकता है अधिक रासायनिक खादों का प्रयोग करने से भूमि के पोषक तत्वों का नुकसान होता रहता है लगातार खेती करने से या रासायनिक खाद के प्रयोग करने से भूमि उत्पादन देना कम कर देती है।

आत्मनिर्भर

जैविक खेती में किसी दूसरे उर्वरक पर निर्भर नहीं रहना होता है इसलिए किसान खुद ही खाद बना लेते है जैसे गोबर की खाद और यदि कोई पेस्टिसाइड की आवश्यकता होती है तो नीम का पेस्टिसाइड उपयोग करते हैं और भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।

लागत में कमी

जैविक खेती विकास को सबसे ज्यादा इसलिए अपनाया जाता है क्योंकि इसमें लागत बहुत कम लगती है जिससे किसान को अधिक मुनाफा होता है जैविक खेती में किसान अधिकतर इनपुट जैसे खाद्य तथा कीटनाशक अपने स्थानीय स्तोतो से ही बना लेते हैं जिसमें विभिन्न कृषि आदानो पर होने वाली लागत में कमी आती है किंतु श्रम लागत में बढ़ोतरी होती है।

जैविक खेती के कार्य (Organic Farming Practices)

जैविक खेती विकास ने केवल भूमि के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है बल्कि मानव के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत उपयोगी है जैविक खेती के निम्नलिखित कार्य है जो नीचे दिए गए है।

भूमि की उर्वरा शक्ति में टिकाऊपन

जैविक खेती में प्रयोग की जाने वाली विभिन्न खाद्य तथा तकनीकी में न केवल भूमि को पोषक तत्व प्रदान करती है बल्कि भूमि की संरचना और जल धारण क्षमता में भी सुधार करती है इससे भूमि के स्वास्थ्य और गुणवत्ता में वृद्धि होती हैं।

पशुधन में बढ़ोतरी

पशुधन का महत्व बढ़ती मशीनीकरण एवं बदलती जीवनशैली से कम होता जा रहा है बिना पशुधन के कृषि में टिकाऊपन बनाए रखना संभव नहीं है और न ही लाभकारी है जैव विविधता की दृष्टि से भी यह एक अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है।

इसलिए विपरीत जैविक पदति में पशुधन को अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है यह माना गया है कि 1 एकड़ क्षेत्र में जैविक खेती विकास के लिए 1 या इससे अधिक पशुधन उपलब्ध होने चाहिए।

वातावरण की शुद्धता

परंपरागत पद्धति में प्रयुक्त किए जाने वाले हानिकारक रसायन न केवल पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं बल्कि यह कृषि हेतु लाभदायक जीवो को भी नष्ट कर देते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है जैविक खेती में इनका संतुलन बना रहता है और इनकी संख्या में भी बढ़ोतरी होती है जिससे फसलों का उत्पादन बहुत अच्छा होता है।

मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

ज्यादातर किसान कृषि पद्धति में खेती के लिए प्रयुक्त किए जा रहे रसायनों के कारण वायु तथा भूमि प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंचे गए हैं यही नहीं इसके प्रयोग से उत्पादित होने वाले अनाज सब्जियों तथा फलों में भी इसका विभिन्न प्रकार के रसायनों के अवशेष प्राप्त हो रहे हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए धीमा जहर का काम कर रहे हैं।

जैविक खेती अपना कर बिना रसायनिक खाद प्राप्त कर सकते हैं इसके फलस्वरूप उत्पन्न होने वाली सब्जियां ऑर्गेनिक होती है इसमें किसी प्रकार का रासायनिक प्रयोग नहीं किया जाता है जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होती है और बीमारियों से भी रक्षा होती है।

कम पानी की आवश्यकता

जैविक खेती का विकास में कम पानी की आवश्कता होती हैऑर्गेनिक खादों के प्रयोग से भूमि को सिंचाई की अपेक्षाकृत कम आवश्यकता पड़ती है क्योंकि यह खाद्य भूमि की जल धारण क्षमता को बढ़ा देती है इस प्रकार सिंचाई की अपेक्षाकृत कम व्यवस्था होने पर भी किसानों का अच्छा फसल उत्पादन हो जाता है।

कृषि उत्पादन की गुणवत्ता

अधिकांश: लोग यह जानते हैं कि वर्तमान में किसान दो प्रकार की पैदावार लेते हैं टिकाऊ तथा बिकाऊ इनमें से टिकाऊ प्रकार की फसल का स्वय उपयोग के लिए करते हैं जबकि बिकाऊ प्रकार की फसल बाजार के उद्देश्य से तैयार करते हैं।

जानिए जैविक खेती के लाभ एवं हानि

मिट्टी को जैविक मिट्टी की खेती में बदलना (Converting Soil To Organic soil Farming)

यदि आप अपने खेत की मिट्टी को जैविक मिट्टी में बदलना चाहते हैं तो इसके लिए आपको सबसे पहले मिट्टी और पानी की जांच करानी चाहिए और जमीन का ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाना चाहिए ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ाने के लिए आपको अपनी फसल के अवशेषों को खेत में जुताई करके मिला देना चाहिए वेस्ट डीकंपोजर कर देना चाहिए।

ऐसा करने से आपकी खेत की ऑर्गेनिक कार्बन में बढ़ोतरी होगी इस क्रिया में समय लगता है लेकिन यह तरीका बहुत कारगर है यह रेतीली भूमि में भी काम करता है।

इस क्रिया के करने से जीवाणुओं की संख्या बढ़ जाती है और यदि ऑर्गेनिक कार्बन 4% तक हो जाता है तो समझिए कि आप की मिट्टी जैविक मिट्टी हो गई है।

जैविक खेती से संबंधित महत्वपूर्ण FAQs

प्रश्न: भारत में जैविक खेती का क्या महत्व है?

उत्तर: भारत में जैविक खेती से तैयार की गई फसल अधिक गुणवत्ता वाली होती है जिसकी बाजार में कीमत भी अच्छी मिलती है। यह वातावरण और मिट्टी के साथ-साथ मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होती है इसलिए जैविक खेती में भारत का भविष्य दिखता  है।

प्रश्न: जैविक खेती के प्रकार बताए

उत्तर: जैविक खेती मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है एक शुद्ध जैविक खेती होती है और दूसरी एकीकृत जैविक खेती होती है। शुद्ध जैविक खेती पूरी तरह से प्राकृतिक तरीकों से की जाती है जबकि एकीकृत जैविक खेती में कुछ बाहरी इनपुट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

प्रश्न: जैविक खेती का प्रोजेक्ट कैसे बनाएं

उत्तर: जैविक खेती का प्रोजेक्ट बनाने के लिए सबसे पहले एक योजना बनाएं उसमें भूमि का चयन बीज और रोपण का तरीका तथा खाद और उर्वरक की मात्रा का प्रयोग तथा कीट और बीमारियों को नियंत्रित करने के सुझाव भी दिए जाने चाहिए।

प्रश्न: जैविक खेती की अवधारणा है?

उत्तर: जैविक खेती की अवधारणा प्राकृति के साथ जोड़कर टिकाऊ कृषि करना है। जिसमें कुछ बिंदु जैसे मिट्टी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखना प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करके खेती करना और पर्यावरण को प्रदूषण किए बिना खेती करना और अधिक गुणवत्ता वाली फसल पैदा करना है।

निष्कर्ष

हम आशा करते हैं कि आपके समक्ष प्रस्तुत किए गये लेख जैविक खेती का विकास जानकारी को पढ़ने के बाद आपको अच्छी लगी होगी अगर अच्छी लगी हो तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।

और साथ ही अपने सुझाव या खेती से जुड़ी किसी भी प्रकार के प्रश्न को कमेंट में पूछना ना भूले खेती बाड़ी से जुड़ी इस प्रकार की रोचक लाभकारी पोस्ट पढ़ने के लिए कृपया हमारी वेबसाइट agriculturetree.com जरूर विजिट करें, धन्यवाद।

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