Safed Matar Ki Kheti कब की जाती है | यहाँ जानें सफेद मटर की वैरायटी | Pea Crop In Hindi

जी हां Safed Matar Ki Kheti ठंडे मौसम में की जाती है इसका उपयोग मनुष्य के भोजन और पशु चारे के लिए किया जाता है सफेद मटर एक प्रकार की फलियां होती है इसका मूल स्थान यूरोप और एशिया माना जाता है इसकी बुवाई करने के लिए विभिन्न प्रकार की सफेद मटर की वैरायटी को अच्छी जल निकास वाली और धूप वाली जगह जहां की मिट्टी थोड़ी क्षारीय हो आसानी से की जा सकती है।

भारत की अर्थव्यवस्था सुधारने में मटर का विशेष योगदान है क्योंकि यह दलहनी सब्जियों में प्रमुख फसल है इसकी खेती कम समय में तैयार हो जाती है और भूमि की उर्वरता शक्ति को भी बनाती है क्योंकि इसकी जड़ों में राइजोबियम जीवाणु भूमि को उपजाऊ बनाने में सहायता करते हैं यदि आप अक्टूबर से नवंबर महीने के बीच में इसकी अगेती किस्मो की बुवाई करते हैं तो आपको अधिक पैदावार देखने को मिलती है।

सफेद मटर की खेती Safed Matar Ki Kheti

सफेद मटर गोलाकार होती है हरी मटर की फलियों को पूरी तरह पक जाने के बाद काटकर उन्हें धूप में या कृत्रिम तरीके से सुखाया जाता है मटर के सूख जाने के बाद मटर का हरा रंग सफेद या पीला-सफेद हो जाता है सूखने के बाद इनके छिलके उतार देते हैं इसमें पीला रंग भी उपलब्ध हो सकता है इन सूखे हुए मटर को सफेद मटर कहते हैं। सफेद मटर की खेती करने के लिए ऐसी किस्म चुने जो आप की जलवायु के अनुकूल हो।

सफेद मटर की खेती (Safed Matar Ki Kheti) करने के लिए आपको अच्छी जल निकास वाली दोमट मिट्टी से चिकनी मिट्टी सभी प्रकार की भूमि में आसानी से की जा सकती है इसकी खेती करने के लिए धूप वाली जगह चुननी चाहिये सफेद मटर को साल भर बाजारों में बेचा जा सकता है यह लेगुमिनोसी कुल का पौधा है।

सफेद मटर की वैरायटी

  • टाइप-163
  • बी आर-2
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  • पूसा-10
  • मटर पन्त-5
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मटर की खेती सबसे ज्यादा कहां की जाती है

मटर की खेती (Safed Matar Ki Kheti) सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश राज्य में की जाती है जबकि दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश में मटर की खेती सबसे अधिक की जाती है इसके बाद पंजाब हिमाचल प्रदेश हरियाणा राजस्थान महाराष्ट्र बिहार कर्नाटक अन्य राज्यों का नंबर आता है। अगर देशों की बात करें तो चीन दुनिया में हरी मटर उत्पादन करने में नंबर वन पर आता है।

मटर की फसल कितने दिन में तैयार होती है

मटर की दो प्रजातियां होती है एक लंबी प्रजातियां होती है दूसरी बोनी प्रजातियां होती है मटर की लंबी प्रजातियों की फसल अवधि 130 से 135 दिन की होती है और इनकी औसत उपज 25 कुंटल से 30 कुंटल प्रति हेक्टेयर होती है. यह रोग रोधी प्रजातियां होती है। मटर की बोनी पर जातियों की फसल अवधि 105 से 125 दिन होती है और इनकी औसत उपज 25 से 35 कुंतल प्रति हेक्टर होती है।

अगेती मटर की खेती

अगेती मटर की बुवाई का सबसे अच्छा समय 20 सितंबर से शुरू होकर 10 अक्टूबर उचित माना जाता है कभी-कभी किसान भाई अच्छी कीमत लेने के लिए मटर की बुवाई कुछ समय पहले ही कर देते हैं जिसके कारण पौधे का विकास ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है उत्पादन कम हो जाता है क्योंकि इस समय मौसम गर्म होता है।

अगेती मटर के लिए भूमि

अगेती मटन की खेती (Safed Matar Ki Kheti) करने के लिए सबसे उपयुक्त भूमि दोमट भूमि होती है जिसकी उर्वरता शक्ति अधिक हो तथा अगेती मटन की खेती करने के लिए भूमि का पीएच मान 6.50 से 7.50 के बीच होना चाहिए।

मटर की खेती में कौन सी खाद डालनी चाहिये

खाद और उर्वरक का प्रयोग करने से पहले दो से तीन बार खेत की जुताई करें और उसमें खाद को फैला कर दोबारा से उसकी जुताई करके मिट्टी में खाद को मिला दे। या आप रसायनिक खादों का भी प्रयोग कर सकते हैं सिंगल सुपर फास्फेट 50 से 60 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से देना होता है।

इसके साथ ही आप डी ए पी 30 से 35 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से और म्यूरेट  ऑफ पोटाश 30 किलोग्राम प्रति एकड़ प्रयोग करें तथा 5 किलो सल्फर प्रति एकड़ उपयोग करना लाभकारी रहता है। मटर की खेती में यूरिया का कम प्रयोग करना चाहिए क्योंकि इसकी जड़ों में राइजोबियम पाया जाता है जो नाइट्रोजन छोड़ता करता है।

बीज की मात्रा

अगेती मटर की खेती (Safed Matar Ki Kheti) के लिए बीज की मात्रा कुछ ज्यादा उपयोग करनी चाहिए क्योंकि अगेती फसल का पौधा ज्यादा फैलाव नहीं करता इसीलिए 40 से 45 किलो प्रति एकड़ बीज का उपयोग करना लाभकारी रहता है।

मटर का पौधा पीला होना

जब हम मटर की खेती (Safed Matar Ki Kheti) कर लेते हैं तो अधिकतर आपने देखा होगा हम मटर की फसल लगा लेते हैं लेकिन उनमें से बहुत से पौधे एक ही जगह पर खड़े हो जाते हैं और उनका रंग पीला हो जाता है और पौधे का विकास रुक जाता है इस समस्या से निजात पाने के लिए बीजों की बुवाई करने से पहले बीज को उपचारित करना चाहिए।

बुवाई करने से पहले बीजों को फंगीसाइड कार्बेंडाजिम 3 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से बीज को उपचारित करना चाहिए। सबसे पहले वीडियो को फर्श पर फैला दें और उसके बाद बनाए गए मिशन को डीजे पर छिड़काव करें तथा हाथों में दस्ताने पहनने के बाद हल्के हल्के हाथों से फंगीसाइड को बीजो में मिला दे। मिलाने के बाद एक घंटा के लिए किसी भी पेड़ की छाया में सुखाने के लिए छोड़ दें इसके बाद बीजो की अपने खेत में बुवाई करे।

मटर की खेती में कितने पानी लगते हैं

किसान भाइयों एक बात का जरूर ध्यान रखें यदि आपने यह बात ध्यान नहीं की तो आप की फसल को नुकसान हो सकता है अधिकतर किसान बुवाई करने के 10 से 15 दिन बाद खेत में सिंचाई कर देते हैं और यदि आप शुरुआत में ही सिंचाई कर देते हैं तो मटर की फसल को नुकसान होता है अब आप कहेंगे कि तो किस समय पर सिंचाई करनी चाहिए तो हम आपको बता दे की जब तक पौधे के अंदर फूल ना आने लगे तब तक सिंचाई नहीं करनी चाहिए तथा हल्की सिंचाई करनी चाहिए क्योंकि मटर के पौधे को कम पानी की आवश्यकता होती है। और मटर में दूसरी सिंचाई फलियां आने पर करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

मटर की अच्छी पैदावार लेने के लिए खरपतवार नियंत्रण करना बहुत आवश्यक होता है खरपतवार नियंत्रण करने के लिए समय-समय पर निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए या बुवाई करने के 48 घंटे के अंदर जब खेत में नमी हो उस समय पर पिण्डिमेथालिन 1 लीटर को एक एकड़ क्षेत्रफल पर स्प्रे कर देना चाहिए। मटर की खेती में लगने वाले कीट और रोग की रोकथाम के लिए वीडियो देखें।

मटर की उपज प्रति हेक्टेयर

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि मटर की दो प्रजातियां पाई जाती है एक होती है बोनी प्रजातियां और दूसरी होती है लंबी प्रजातियां। लंबी प्रजातियों की औसत उपज 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है जबकि बोनी प्रजातियों की उपज 25 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।

मटर की खेती की पैदावार कैसे बढ़ाए

  1. मटर की खेती करने से पहले खेत की अच्छे से तैयारी करें और उसमें जल निकास की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
  2. रेतली दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी रहती है रेतीली ढीली और भुरभुरी मिट्टी में इसकी जड़े आसानी से फैलती है.
  3. सफेद मटर की खेती करने के लिए अधिक धूप की आवश्यकता होती है कम से कम 6 घंटे धूप मिलनी चाहिए।
  4. मटर की खेती में बीज को 1 इंच गहरा बोना चाहिए और 2 इंच की दूरी रखनी चाहिए।
  5. पहली सिंचाई फूल आने पर देनी चाहिए तथा दूसरी सिंचाई फलियां बनते समय देनी चाहिए
  6. मटर के पौधे कुछ कीटो और बीमारियों के प्रति संवेदनशील भी होते हैं जैसे एफीडस,बीन बीटल और पाउडरी मिलडायू अपने पौधों का नियमित रूप से निरीक्षण करना चाहिए और किसी भी समस्या के दिखने पर तुरंत उपचार करना चाहिए।
  7. मटर की फलियां मोटी और भरी हो जाने पर कटाई करनी चाहिए यदि आप सफेद मटर तैयार करना चाहते हैं तो आपको मटर को पूरा पकने के बाद ही काटना चाहिए।

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