मसाले की खेती में Adrak ki Kheti का महत्वपूर्ण स्थान है आप खरीफ के मौसम में अदरक की खेती से अधिक मुनाफा और उत्पादन ले सकते हैं भारत दुनिया का सबसे बड़ा अदरक उत्पादक देश है जो हर साल एक मिलियन टन से भी ज्यादा अदरक उत्पादन करता है अदरक की खेती करने के लिए गर्म और नम जलवायु की आवश्यकता होती है पूर्ण खुले वातावरण में आंशिक छाया से अदरक की खेती करना अधिक लाभदायक रहता है।
किसान भाइयों अगर आप भी अदरक की खेती पारंपरिक तरीके से करते हैं तो हम आपको वैज्ञानिक अदरक की खेती करने की सलाह देंगे।
क्योंकि वैज्ञानिक तरीके द्वारा आप कम खर्चे में अधिक उत्पादन ले सकते हैं इसके लिए आपको अदरक की खेती की संपूर्ण जानकारी दी जा रही है इस लेख को आखिर तक अवश्य पढ़े।
अदरक की खेती (Adrak ki kheti) के लिए मिट्टी
अदरक की खेती (Adrak ki kheti) करने से पहले आपको मिट्टी की अच्छे से तैयारी कर लेनी चाहिए वैसे तो लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में अदरक की खेती की जा सकती है।
परंतु जीवांश युक्त मिट्टी हल्की दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है अदरक की खेती में जल निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
रेताली मिट्टी या लाल मिट्टी में भी इसकी खेती आसानी से की जा सकती है परंतु आपको जल भराव की समस्या को पूरी तरह से खत्म करना होगा क्योंकि खड़े पानी में अदरक की खेती खराब हो जाती है पौधों के अच्छे विकास के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 6.5 तक होना चाहिए।
अदरक की खेती के लिए जलवायु
अदरक की खेती (Adrak ki kheti) करने के लिए उपयुक्त तापमान 12 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड अच्छा रहता है और यदि 1500 मिमी वर्षा हो जाती है तो अदरक की खेती में अच्छी पैदावार प्राप्त होती है।
अदरक की बुवाई करते समय वातावरण का तापमान लगभग 30 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड अच्छा रहता है. खुले आसमान में जहां पर छाया की व्यवस्था भी हो वहां पर इसकी खेती अधिक सफल होती है।
अदरक की उन्नत किस्मे
किसान भाइयों कच्चे अदरक के प्रयोग के लिए आपके बिना रेशे वाले पर प्रजातियों का प्रयोग करना चाहिए जैसे – डी – जेनेरियो एव चाइना प्रजातियां इस दृष्टि के लिए उत्तम रहती है इन किस्मो के द्वारा मरण सौंठ भी बनाई जा सकती है।
पैात्र नगी (उड़ीसा) से सुप्रभा, सुरुचित एवं सुसुरारी उन्नतशील प्रजातियां विकसित हुई है जिनकी पैदावार अधिक होती है।
सुप्रभा: अदरक की किस्म 51 सेंटीमीटर लंबी होती है जो लगभग 16 टन से ज्यादा प्रकन्द प्रति हेक्टर उत्पादन देती है इस किस्म को अपना कार्यकाल पूरा करने में 229 दिन का समय लगता है।
सुरुचि: अदरक की यह भी एक प्रमुख किस्म है जो अधिक उत्पादन देती है इसकी लंबाई 52 सेमी होती है अदरक की यह किम 218 दिनों में अपना कार्यकाल पूरा कर लेती है जिसका उत्पादन लगभग 11 तन से ज्यादा प्रकन्द प्राप्त होता है।
सुरभि: इस किस्म की लंबाई 62 सेंटीमीटर तक होती है जो अपना अवधी काल 225 दिनों में पूरा कर लेती है अगर इसके उत्पादन की बात करें तो लगभग 17 टन से ज्यादा प्रति हेक्टर प्रकन्द का उत्पादन प्राप्त हो जाता है।
IISR Varada: इस किस्म से तैयार अदरक ताज प्राप्त होते हैं जो बाजारों में तुरंत बिकने के लिए चले जाते हैं सूखे अदरक की पैदावार करने के लिए यह किम बहुत अच्छी मानी जाती है यह अपना जीवनकाल 200 200 दिनों में पूरा कर लेती है जिसकी औसत पैदावार 90 कुंतल प्रति एकड़ होती है।
अदरक की बुवाई
अदरक का प्रसारण प्रकन्द द्वारा होता है इसकी बुवाई का उपयुक्त समय मई से लेकर जून तक होता है अदरक की बुवाई करने के लिए 2 से 5 सेंटीमीटर लंबाई वाले तथा 15 से 20 ग्राम वजन वाले प्रकन्द जिसमें कम से कम दो स्वस्थ आंखें होनी चाहिए बुवाई करने के लिए उपयुक्त होते हैं
बुवाई करने से पहले प्रकन्द को कॉपर ऑक्सिक्लोराइड के 0.3% गोल से उपचारित कर लेना चाहिए जो लगभग 10 मिनट तक गोल में डुबोने के बाद उन्हें बाहर निकाल कर कुछ समय के लिए छाया में सुख लेना चाहिए तथा इसके बाद पानी सूख जाने के बाद इसको बुवाई करने के लिए उपयोग में लाना चाहिए।
बुवाई 30 सेंटीमीटर की दूरी पर बनी मेडो पर 5 से 8 सेंटीमीटर की गहराई पर करनी चाहिए मेड़ो पर प्रकन्दो के बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए और बुवाई के लिए भूमि में पर्याप्त नमी उपलब्ध होना आवश्यक है।
बीज की मात्रा
अदरक की बुवाई करते समय ताजा और स्वस्थ बीमारी और किट से रहित प्रकन्द (बीज) का प्रयोग करना चाहिए अदरक की खेती में बुवाई करते समय 15 से 16 कुंतल प्रति हेक्टर बीज की आवश्यकता पड़ती है।
खाद एवं उर्वरक
अदरक की फसल (Adrak ki kheti) में लगभग 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी हुई खाद का प्रयोग करना चाहिए भूमि की प्रारंभिक की तैयारी करते समय मिट्टी में मिला देना चाहिए।
इसके अतिरिक्त यदि आप अच्छी पैदावार चाहते हैं तो आपको नत्रजन 80 किलोग्राम फास्फोरस 60 किलोग्राम और पोटाश 80 किलोग्राम प्रति हेक्टर प्रयोग करना चाहिए।
फास्फोरस तथा पोटाश की संपूर्ण मात्रा का प्रयोग करना चाहिए लेकिन नत्रजन की एक तिहाई मात्रा अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिलनी चाहिए नाइट्रोजन की शेष बची हुई मात्रा को दो भागों में बाटकर बुवाई के 40 से 45 दिन और 85 से 90 दिनों के बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना लाभकारी रहता है।
पलवार की अदरक
अदरक की फसल में अधिक कार्बनिक पलवार डालने से काफी लाभ होता है पेड़ों की पत्तियां, गन्ने की सूखी पत्तियां, धान का पुआल, भूसा आदि पलवार में काम आते हैं बुवाई के चार से पांच दिन में पलवार डालने की सिफारिश की जाती है।
सुख पदार्थ का प्रयोग करने पर पलवार डालने से मिट्टी में नमी बनी रहती है और साथ ही साथ तापमान भी नियंत्रित रहता है परिवार का प्रयोग करने से खरपतवार की समस्या से निजात मिल जाती है। पलवार से तैयार की गई अदरक की खेती में अधिक गुणवत्ता और अधिक उत्पादन होता है।
निराई गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाना
अदरक की खेती (Adrak ki kheti) में खरपतवार के कारण उत्पादन में कमी आ जाती है इसलिए समय से खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए 2 से 3 बार निराई गुड़ाई करते हैं रोग ग्रस्त पौधों या शाखा को खेत से निकाल कर रख कर देते हैं।
यदि आप पलवार का उपयोग करते हैं तो आपको मेड़ों पर मिट्टी चढ़ाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि पलवार के कारण मिट्टी का क्षरण नहीं होता है यदि पलवार आप का उपयोग नहीं करते हैं तो आपको समय से ही मीडो पर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।
फसल चक्र
अदरक की फसल में मुडुसड़न की समस्या देखने को मिलती है इसलिए एक बार किसी खेत में अदरक की बुवाई करने के बाद अगली बार उसी खेत में बुवाई नहीं करनी चाहिए।
क्योंकि अदरक की फसल आशिक छाया पसंद करती है इसीलिए फल वृक्षों के बागों में लगाने के बाद प्रारंभ के कुछ वर्षों तक अंत फसल के रूप में उगाई जा सकती है।
अदरक में सिंचाई
अदरक की बुवाई से पहले पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए हल्की सिंचाई या पलेवा करना चाहिए अदरक में प्रथम सिंचाई अंकुरण के थोड़ा बाहर आने पर करनी चाहिए।
इसके बाद समय समय पर भूमि में नमी बनाए रखने के लिए आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए ऐसा करने से प्रकन्द का विकास अच्छा होता है तथा खुदाई करने से एक महीने पहले अदरक के खेत में सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।
अदरक की खुदाई
अदरक की फसल बुवाई के 8 महीने बाद खुदाई के लिए तैयार हो जाती है इस समय ऊपरी तन तथा पत्तियां पीली पढ़कर सूखने लगती है तो खुदाई करने का सही समय होता है।
परंतु ताजी अदरक के लिए बाजार में अच्छे भाव के लिए अदरक की खुदाई बोने के 5 से 6 महीने बाद भी कर सकते हैं एक हेक्टर से लगभग 150 से 200 कुंतल हरि अदरक की उपज मिल जाती है।
उत्तर प्रदेश में अदरक की खेती
उत्तर प्रदेश में अदरक की खेती (Adrak ki kheti) करना एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है जिसकी खेती करके आप साल के लाखों रुपए कमा सकते हैं लेकिन इससे पहले आपको अदरक की खेती के लिए आवश्यक जानकारी की आवश्यकता होती है।
उत्तर प्रदेश में इसकी खेती करने के लिए दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है जिसका पीएच मान 5 से 6.5 के बीच होना चाहिए उत्तर प्रदेश में अदरक की खेती करने के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में आसानी से की जा सकती है।
उत्तर प्रदेश में अदरक की खेती करने के लिए निम्न किस्म का उपयोग कर सकते हैं
- हिमगिरी: यह एक देर से पकाने वाली केस में है इसकी पैदावार अच्छी होती है तथा यह रोग प्रतिरोधी किस्म है।
- सुप्रभा: यह मध्यम अवधि में पकने वाली केस में इसकी पैदावार भी अच्छी होती है और यह भी रोगों से लड़ने में सहायता करती है।
- सुरुचि: यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है इससे प्राप्त फसल कच्ची रूप में उपयोग या बिकने के लिए काम आती है यह भी रोग प्रतिरोधी किस्म है।
उत्तर प्रदेश में अदरक की खेती करने के लिए बुवाई का समय, सिंचाई, खाद, खरपतवार नियंत्रण, किट और रोग आदि आर्टिकल में दिए गए जानकारी के आधार पर की जा सकती है।
हाइब्रिड अदरक की खेती
हाइब्रिड अदरक की खेती (Adrak ki kheti) पारंपरिक अदरक की खेती से कुछ अलग होती है हाइब्रिड अदरक के किस्म अधिक उपज देने वाली होती है और इसमें रोग कम लगते हैं तथा कीट का प्रकोप ज्यादा नहीं होता है जिसके कारण इसकी पैदावार अच्छी होती है।
हाइब्रिड अदरक की फसल 9 से 11 महीने बाद काटी जाती है पौधों के सूखने लगे उसे समय उन्हें उखाड़ लेते हैं और धूप में सूखने के लिए छोड़ देते हैं इसके बाद बाजार में देखने के लिए ले जाते हैं।
कीट एवं बीमारियां
तना छेदक
अदरक का यह एक भयंकर गंभीर किट है इसके कारण पौधों की पत्तियों में छेद हो जाते हैं इस किट की रोकथाम करने के लिए मोनोक्रोटोफास 0.05 % का छिड़काव जुलाई के महीने से अक्टूबर के महीने तक 21 दिन के अंतराल पर किया जाता है।
प्रकन्द – स्केल
अदरक का यह एक प्रमुख किट है इस किट के कारण अदरक की खेती में बहुत अधिक हानि होती है इस किट के नियंत्रण करने के लिए क्यूनालफास 0.1% के गोल से प्रकन्द बीज को बुवाई करते समय उपचारित करना चाहिए।
सॉफ्ट रोट
सॉफ्ट रोड अदरक की एक प्रमुख बीमारी है जो कवक द्वारा होता है इस बीमारी की रोकथाम करने के लिए बीज उपचार करना बहुत आवश्यक होता है अदरक की बुवाई करने से पहले बीज को मैंकोजेब 0.3 प्रतिशत से उपचारित करना चाहिए तथा स्वास्थ्य और ताजा बीजों का बुवाई में उपयोग करना चाहिए।
बैक्टीरियल विल्ट
यह अदरक (Adrak ki kheti) की एक प्रमुख बीमारी है जो जीवाणु द्वारा होती है इसके द्वारा भी अदरक की फसल को बहुत हानि पहुंचती है।
इसकी रोकथाम करने के लिए रोग ग्रस्त पौधों को खेत में से उखाड़ कर बाहर निकाल देना चाहिए और रोग प्रतिरोधी किस्म का उपयोग करना चाहिए इसके नियंत्रण करने के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 0.2 प्रतिशत का प्रयोग करते हैं।
अदरक का बीज कहां मिलता है
अदरक की खेती (Adrak ki kheti) का बीज आपको अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा या कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अदरक के बीज उपलब्ध हो जाते हैं अदरक के बीच की कीमत 100 से 200 रुपए प्रति किलो होती है जो किस्म और मात्रा पर निर्भर करती है।
आप अदरक के बीज ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं कई ऑनलाइन स्टोर पर अदरक के बीज बेचे जाते हैं अदरक के बीज खरीदने के बाद उन्हें अच्छी तरह से सुरक्षित स्थान पर रखना चाहिए बीज को एक सुखी और ठंडी जगह पर सुरक्षित रख सकते हैं।
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