राजस्थान में Apple Ber Ki Kheti करना बहुत आसान है क्योंकि बेर एक ऐसा फल है जो बंजर एवं कम वर्षा वाले क्षेत्र में भी आसानी से उगाया जा सकता है इसलिए राजस्थान में एप्पल बेर की खेती करके आप लाखों रुपए कमा सकते हैं क्योंकि इसकी खेती करने में ज्यादा खर्चा नहीं आता है और पानी की भी अधिक आवश्यकता नहीं होती है जो की राजस्थान में सबसे बड़ी समस्या है इसीलिए राजस्थान के किसानों को Apple Ber Ki Kheti अवश्य करनी चाहिए तो आइये जानते है।
वानस्पतिक नाम | जिजिफस मॉरिटियना |
कुल | रेहमनेसी |
उत्पत्ति स्थान | भारत एव चीन |
गुणसूत्र संख्या | 2n = 24, 36, 48 |
फलों का प्रकार | Drupe |
खाद्य भाग | फलभित्ति |
Apple Ber Ki Kheti की जानकारी
बेर एक सस्ता और लोकप्रिय फल होने के कारण इसे गरीबों की मेवा भी कहा जाता है, जिसको भारत के अलावा चीन में भी बड़े पैमाने पर उगाया जाता है इसका पौधा कांटेदार होता है इसलिए इसके पौधे को इंसानों द्वारा ज्यादा नुकसान होने का भी डर नहीं रहता है।
ग्रीष्मकालीन सुसुप्तावस्था और वर्षा के बाद पुष्पन एवं फलन तथा गहरी जड़े निकलती है इसकी यह मुख्य विशेषता होती है जिसके कारण इसे राजस्थानी फलों का राजा भी कहा जाता है। इस आर्टिकल में हम आपको एप्पल बेर की खेती राजस्थान में कैसे कर सकते हैं और राजस्थान में एप्पल बेर की खेती करने के लिए आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, संपूर्ण जानकारी दी गई है।
बेर की खेती कहां की जाती है
भारत में बेर की खेती उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में भी की जाती है इसकी खेती करने के लिए शुष्क और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है इसलिए राजस्थान की जलवायु एप्पल बेर की खेती करने के लिए उपयुक्त मानी जाती है, लेकिन भारत में मध्य प्रदेश बेर उत्पादन में नंबर वन पर है।
राजस्थान के लिए बेर की उन्नतशील किस्मे
राजस्थान में Apple Ber Ki Kheti करना मुनाफे का सौदा है क्योंकि इस फल की खेती करने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। बेर के पेड़ एक बार लगाकर कई सालों तक फल देते रहते हैं और देखभाल की भी कोई खास आवश्यकता नहीं होती है लेकिन राजस्थान के लिए कुछ किस्मे तैयार की गई है जो इस प्रकार है- गोला, एप्पल बेर, मुड़िया एव जोगिया सेब, थाई ग्रीन, रेड कश्मीरी आदि।
बेर के लिए भूमि
एप्पल बेर की खेती राजस्थान में करने के लिए बंजर या उपजाऊ दोनों प्रकार की भूमि में कर सकते हैं लेकिन जल भराव वाली भूमि में बेर की खेती नहीं करनी चाहिए क्योंकि बर के पौधे अधिक समय तक पानी सहन नहीं कर पाते हैं और खराब हो जाते हैं।
बेर की खेती करने के लिए भूमि का पीएच मान 5.5 से 9 के बीच हो सकता है। यदि आप अपनी भूमि का पीएच मान ज्ञात करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें,
बेर के लिए जलवायु
बेर की खेती करने के लिए शुष्क और गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है जो समुद्र तल से करीब 1000 मीटर की ऊंचाई पर हो. सर्दियों का मौसम बेर की खेती के लिए उपयुक्त नहीं होता है क्योंकि ठंड के मौसम में इसका पौधा उत्पादन नहीं कर पता है।
जबकि गर्मी और बरसात का मौसम बेर की खेती के लिए अच्छा रहता है और यदि तापमान की बात करें तो प्रारंभ में 20 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान प्रयुक्त होता है और बाद में 25 से 35 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उचित होता है, यह 45 डिग्री तापमान को भी सहन करने में सक्षम है।
बेर के खेत की तैयारी कैसे करें
बेर का पेड़ एक बार लग जाने के बाद 40 से 50 साल तक पैदावार देता रहता है इसलिए इसके पौधों को लगाने से पहले खेत की अच्छे से तैयारी करनी चाहिए। खेत की तैयारी करने के लिए सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करके एक से दो दिन के लिए धूप में ही छोड़ देते हैं जिसकी सहायता से हानिकारक कीट मर जाते हैं।
इसके बाद मिट्टी परीक्षण के लिए ले जाते हैं और खेत में बने बड़े-बड़े ढेलो को तोड़ने के लिए रोटावेटर का प्रयोग करते हैं जिस मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और जड़ अधिक गहराई तक फैलती है। यदि आपकी मिट्टी में किसी पोषक तत्व की कमी है तो जुताई करते समय अवश्य डालनी चाहिए।
इतना करने के बाद खेत में 2 फीट चौड़े और 1 फीट गहरे गड्डो को 4 से 5 मीटर की दूरी पर तैयार करते हैं गड्ढा बनाते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 3 से 4 मीटर होनी चाहिए।
गड्डो को तैयार करते समय उसमें 20 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद, 1 किलोग्राम कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट तथा 1 किलोग्राम सुपर फास्फेट मिट्टी में मिलकर गड्ढे को भर दिया जाता है और ऊपर से हल्की सिंचाई कर देते हैं गड्डा तैयार करने का कार्य पौधे लगाने के 1 महीने पहले करना चाहिए।
पौधों को दीमक के प्रकोप से बचने के लिए 50 ग्राम क्यूनालफास धूल प्रति गड्डे की दर से भरते समय डालना चाहिए।
एप्पल बेर के पौधों की बुवाई
बेर के पौधे की बुवाई कलम द्वारा या बीज द्वारा की जा सकती है बेर के बीजों द्वारा पौधे तैयार करने के लिए फलों से गुठनी निकालकर उन्हें मिट्टी में बुवाई की जाती है. बेर का बीज कठोर होने के कारण देर से अंकुरित होते हैं इसलिए उन बीजों को 500 पी पी एम जिब्रेलिक अम्ल के घोल में 24 घंटे या सान्द्र गंधक अम्ल में 6 घंटे डुबोकर बोने से अंकुरण अधिक और कम समय में होता है।
राजस्थान में Apple Ber Ki Kheti करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है एक अच्छी नर्सरी से पौधे या कलम लेकर अपने खेत में लगाए जाएं क्योंकि बीज द्वारा पौधे तैयार करने में अधिक समय लग सकता है या आप इसके स्थान पर ऑनलाइन पौधे भी मंगवा सकते हैं।
राजस्थान में एप्पल बेर की बुवाई का समय
राजस्थान में Apple Ber Ki Kheti करने का उपयुक्त समय 15 मार्च से 15 अप्रैल का होता है पौध रोपाई के लगभग 1 से 1.5 साल बाद पेड़ से फल प्राप्त होने लगते हैं एक फल का वजन 90 से 100 ग्राम होता है।
सिंचाई की व्यवस्था
बेर के पौधों को कुछ खास सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह कम पानी चाहने वाला फल है किंतु नए पौधों को पानी की अधिक आवश्यकता होती है तथा गर्मी के दिनों में 8 से 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई कर सकते हैं।
लेकिन एक बात का ध्यान रखें जब बेर के पौधों पर फूल आने लग जाए तब पानी बिलकुल नहीं देना चाहिए तथा फल बनते समय नमी के लिए ही पानी दें।
एप्पल बेर की खेती में खरपतवार नियंत्रण
एप्पल बेर की खेती में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए प्राकृतिक और रासायनिक दोनों विधियों का प्रयोग किया जा सकता है लेकिन हम आपको प्राकृतिक विधि का प्रयोग करने की सलाह देंगे क्योंकि केवल वर्ष में दो बार ही खरपतवार नियंत्रण करने की आवश्यकता पड़ती है या 2 से 3 बार जुताई कर सकते हैं।
बेर की तुड़ाई और उपज
किस्म के अनुसार बेर की पैदावार कम या ज्यादा हो सकती है लेकिन अगर एप्पल बेर की राजस्थान में बात करें तो एक पौधे से 20 से 25 किलोग्राम बेर प्राप्त हो जाते हैं। जिसकी बाजार में सामान्य बेर से अधिक कीमत मिल सकती है। उत्तर भारत में बेर की तुड़ाई गर्मी के महीने अप्रैल में की जाती है जबकि दक्षिणी भारत में सर्दियों के मौसम में बेर की तुड़ाई करते हैं।
एप्पल बेर की खेती से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण FAQs
एप्पल बेर का मंडी भाव क्या होता है?
एप्पल बेर का मंडी भाव ₹20 से ₹50 प्रति किलो तक होता है जिसमें एक फल का वजन 80 से 100 ग्राम का होता है।
बेर का पेड़ कितने साल में फल देता है?
बेर का पेड़ पर 2 से 3 साल में ही फूल आने लगते हैं परंतु 4 से 5 साल की उम्र के पेड़ से ही फल लेना चाहिए। फूलों से फल बनने में लगभग 25 से 27 दिन का समय लगता है।
क्या भारत में बेर का पेड़ उग सकता है?
जी हां, भारत में बैर का पेड़ उगाया जा सकता है! बेर एक प्रमुख भारतीय फल वृक्ष है जिसकी खेती पूरे देश में, खासकर शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रो में की जाती है।
बेर के पेड़ के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
बेर की खेती करने के लिए गहरी बलुई दोमट मिट्टी अच्छी होती है। इसकी खेती के लिए क्षारीय मिट्टी अधिक उपयुक्त रहती है।
बेर का पेड़ कैसा होता है
बेर का पेड़ गहरी जड़ वाला होता है जिसकी पत्तियां अंडाकार आकार में चिकनी हरी होती है इसकी टहनियों पर कांटे पाए जाते हैं जो इसकी जानवरों से सुरक्षा करते हैं। यह बंजर भूमि में भी उगाने की क्षमता रखता है।
बेर की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?
बेर की अनेक उन्नत किस्मे पाई जाती है जिनमें प्रमुख गोला (राजस्थान के लिए) बनारसी (उत्तर प्रदेश के लिए) कुम्भको (आंध्र प्रदेश के लिए) और उमरान पंजाब और हरियाणा के लिए उगाई जाती है।
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