पूरे भारत में कांटेदार बैंगन की खेती की जाती है कांटेदार बैंगन का स्वाद अन्य सभी गोल बैंगन लंबे बैंगन से अच्छा होता है कांटेदार बैंगन को देसी बैंगन के नाम से भी जाना जाता है कांटेदार बैंगन की खेती करना बहुत ही आसान है क्योंकि इसकी खेती अन्य बैंगन की जैसी ही की जाती है।
इसकी खेती वर्ष भर की जाती है जैसे हम गोल और लंबे बैंगन की खेती करते हैं वैसे ही कांटेदार बैगन की खेती की जाती है कांटेदार बैंगन की खेती के लिए सबसे अच्छा समय अगस्त के महीने का होता है | इस लेख में दी गई जानकारी के द्वारा आप कांटेदार बैंगन और गोल बैंगन की खेती आसानी से कर सकते हैं कृपया लेख को आखिर तक पढ़े।
बैंगन की खेती की जानकारी (Brinjal Cultivation Information)
बैंगन की पत्तियों में विटामिन सी पाया जाता है बैंगन (सोलेनम मेलोजेना) सोलेनेसी जाति का फसल है बैंगन की खेती लंबे समय तक कमाई देती है क्योंकि इसकी बुवाई वर्ष भर की जाती है बैंगन सबसे ज्यादा चीन देश में खाया जाता है इसके बाद भारत का स्थान आता है।
अगर भारत देश की बात करें तो बैंगन उगाने वाले राज्यों में उड़ीसा बिहार कर्नाटक पश्चिम बंगाल आसाम आंध्रप्रदेश महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश इत्यादि में पैदा किया जाता है भारत में इसकी सबसे अधिक पैदावार पश्चिम बंगाल में होती है तथा उड़ीसा दूसरे नंबर पर आता है।
बैंगन की खेती का महत्व (Importance of Brinjal Cultivation)
- बैंगन की खेती किसानों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है।
- बैंगन में विभिन्न प्रकार के खनिज और विटामिन पाए जाती हैं।
- इसमें कैलोरी और वसा कम होती है इसलिए यह वजन कम करने वालों के लिए एक स्वास्थ्य विकल्प है।
- बैंगन का प्रयोग सब्जी, आचार, करी, की एक लोकप्रिय सामग्री है।
- यह कीटों और रोगों के प्रति प्रतिरोधी होते हैं।
- इसकी जड़े सघन मिट्टी को तोड़ने और जल निकासी में सुधार करने मदद करती है।
- बैंगन के पौधे की गहरी जड़े मिट्टी को अपनी जगह पर बनाए रखने में मदद करती है।
भूमि का चुनाव (Selection of land)
इसका पौधा कठोर होने के कारण इसको विभिन्न प्रकार की भूमि पर उगाया जा सकता है परंतु अच्छे जल निकास वाली उर्वरक दोमट भूमि इसके लिए सबसे उपयुक्त होती है भूमि में पर्याप्त कार्बनिक पदार्थ की मात्रा होनी चाहिए इसके लिए पी एच मान 5-7 के बीच रहना चाहिए।
बैंगन के लिए उपयुक्त जलवायु (Suitable climate For Brinjal)
बैंगन के पौधे को गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है जबकि कांटेदार बैंगन की खेती करने के लिए सर्दी का मौसम अच्छा रहता है अधिक पाला पड़ने से इसके पौधे मर जाते हैं बैगन की खेती की अच्छी बढ़वार के लिए 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान अच्छा होता है।
बैंगन की खेती का समय (Brinjal Cultivation Time)
शरद कालीन फसल – नर्सरी में बीज जून से जुलाई में बोया जाता है और रोपाई जुलाई से अगस्त में की जाती है।
बसंत ग्रीष्म की फसल – नर्सरी में बीज नवंबर के शुरू में होना चाहिए और रोपाई जनवरी से फरवरी में कर देनी चाहिए।
वर्षा ऋतु की फसल – नर्सरी में 20 मार्च में बोया जाता है और इसकी रोपाई अप्रैल माह में की जाती है।
पहाड़ी क्षेत्रों के लिए – पहाड़ी क्षेत्रों में बीज अप्रैल में बोया जाता है और रोपाई मई महीने में की जाती है।
कांटेदार बैंगन की बुवाई का समय – कांटेदार बैंगन की बुवाई अगस्त से सितंबर में की जाती है कुछ किसान जुलाई और अगस्त में भी इस वैरायटी की रोपाई करते हैं तो उनको अच्छा मुनाफा इस वैरायटी में मिलता है।
यह वैरायटी लंबी चलने वाली वैरायटी है यह पूरी सर्दी यह वैरायटी चलती है और बहुत ही अच्छी डिमांड पूरी सर्दी इस वैरायटी की बनी रहती है।
बीज की मात्रा (Amount of Seed)
400 ग्राम से 500 ग्राम बीज एक हेक्टर की रोपाई के लिए पर्याप्त होता है ( 1 ग्राम में लगभग 250 बीज होते हैं )
बैंगन के फसल चक्र (Crop Rotation of Brinjal)
- बैंगन आलू प्याज
- लोबिया बैंगन खीरा
- ग्वार मटर बेंगल
- बैंगन मिर्च
- बैंगन लोबिया
- मक्का मटर बैंगन
- बैंगन प्याज धनिया
- बैंगन भिंडी
- मक्का मूली बैंगन
बैंगन की रोपाई (Brinjal Seedlings)
जब पौधे 4 से 6 सप्ताह के और ऊंचाई लगभग 15 सेंटीमीटर हो जाए तब इनकी रोपाई कर लेनी चाहिए इनके रोपाई की दूरी भूमि की उर्वरता मौसम एवं वैरायटी पर निर्भर करती है बैंगन की लंबे फल देने वाली किस्मों के लिए 60 x 45 सेंटीमीटर, बैंगन की गोल किस्मों के लिए 75 x 60 सेंटीमीटर रखनी चाहिए और हाइब्रिड किस्में के लिए 90 x 90 सेंटीमीटर दूरी पर लगाना चाहिए।
बैंगन की खेती में खाद का प्रयोग (Use of Manure In Brinjal Cultivation)
बैंगन की खेती करने से पहले मिट्टी की जांच जरूर करानी चाहिए इसके बाद गोबर की कंपोस्ट खाद 20 से 25 टन प्रति हेक्टेयर की दर से खेत तैयार करते समय एव फास्फोरस और पोटाश की मात्रा क्रमश: अमोनियम सल्फेट, सिंगल सुपर फास्फेट, तथा म्यूरेट ऑफ पोटाश से देना चाहिए।
बैंगन एक लंबी अवधि वाली फसल होने के कारण इसको अधिक मात्रा में खाद एवं उर्वरक की आवश्यकता होती है बैंगन के लिए 100 किलोग्राम नत्रजन 50 किलोग्राम फास्फोरस एवं 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए।
बैंगन में सिंचाई (Irrigation in Brinjal)
बैंगन की खेती में गर्मियों के दिनों में 3 से 4 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए तथा सर्दियोंके दिनों में 10 से 12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए पालो के दिनों में सिंचाई करके भूमि को नमी युक्त बनाए रखने से हानि कम होती है बैंगन में सिंचाई करते समय जलभराव नहीं होना चाहिए।
बैंगन की खेती करने के लिए मल्चिंग सबसे अच्छा रहता है और इसकी सिंचाई करने के लिए ड्रिप सिंचाई का प्रयोग करना चाहिए इससे बैंगन में जलभराव की समस्या नहीं आती है और पानी की बचत के साथ-साथ बैंगन की बहुत अच्छी पैदावार होती है।
बैंगन की उन्नत किस्में (Improved Varieties of Brinjal)
गोल बैंगन वाली किस्में
- पूसा पर्पल राउंड
- पंजाब-8
- पंजाब बहार
- आईआई एच आर 22 -1 – 2 -1
- कृष्ण नगर पर्पिल राउंड
- अर्का नवनीत
- जामुनी गोला
- पंजाब नीलम
- पंत ऋतुराज
लंबे बैंगन वाली किस्में
- पूसा पर्पिल लॉन्ग
- पूसा क्रांति
- पूसा अनमोल
- पूसा अनुपम
- पंजाब चमकीला
- अर्का कुसुमाकर
- अर्का शिरिस
- आर -34
- P. H . -4
- आजाद क्रांति
- पंत सम्राट
- विजय हाइब्रिड
- पंजाब बरसाती
- सदाबहार बैंगन
- पूसा हाइब्रिड-5
- नीलम
- सलेक्शन-1
कांटे वाले बैंगन की उन्नत किस्में
- NBH-13 ( गुलाबी बैंगन )
- माही कलापतु ( अधिक उत्पादन )
- NBH-1152 ( हरा बेंगन )
- स्वर्ण श्यामली
जब पौधे पर फल आने लगते हैं तो पौधा नीचे की ओर झुकने लगता है और यदि बारिश हो जाती है तो पौधे के गिरने की संभावना रहती है गोल बैंगन की किस्मों को सहारा देना बहुत ही आवश्यक होता है क्योंकि इनके फल बड़े और वजनी होते हैं इसलिए पौधे को सहारा देने के लिए बांस के बम्बू का प्रयोग कर सकते हैं.
बैंगन की तोड़ाई (Brinjal Plucking)
बैंगन के फलों से लगी हुई इस स्टेक को तने से काटकर अलग करना कर लेते है फलों की तोड़ाई उस समय पर करनी चाहिए जब फलों का आकार एवं रंग अच्छा हो यदि आपके पास मंडी नजदीक ही है तो आपको इनकी तोड़ाई सुबह के वक्त करनी चाहिए।
यदि मंडी बहुत दूर हो तो बैंगन की तोड़ाई शाम के वक्त करनी चाहिए बैंगन की तोड़ाई 3 से 4 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए बैंगन की चौड़ाई अधिक देर से करना ठीक नहीं रहता है क्योंकि देर से ट्राई करने पर बैंगन के रंग और चमक में हल्का पन आ जाता है जिस कारण मंडियों में इसकी कीमत कम मिलती है.
बैंगन की अधिक उत्पादन के लिए दवा (Medicine For Higher Production of Brinjal)
बैंगन की अधिक उपज प्राप्त करने के लिए फल और फूल को बढ़ाने के लिए स्प्रे करना होता है जैसे किसान साइन की 10ml दवा को 15 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए या फिर संजीवनी 30ml दवा को 15 लीटर पानी में घोलकर 20 दिन के अंतराल पर स्प्रे करना चाहिए बैंगन की अधिक उपाधि प्राप्त करने के लिए आप हाइब्रिड बीज का प्रयोग कर सकते हैं बोरान का छिड़काव करने से भी बैंगन की पैदावार में वृद्धि होती है.
बैंगन में फल-फूल की दवा (Fruit-flower
Medicine in Brinjal)
बैंगन के फूलों को बढ़ाने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए जिसका प्रयोग करने से पौधे में फल और फूल की संख्या बढ़ जाती है.
- पौधा लगाने के 10 दिन बाद निराई गुड़ाई करनी चाहिए।
- फूलों की संख्या को बढ़ाने के लिए कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट डालनी चाहिए।
- फूलों को गिरने से रोकने के लिए खेत में हमेशा नमी रहनी चाहिए।
- फूलों को गिरने से रोकने के लिए त्रिशूल नाम की दवा का स्प्रे करना चाहिए।
- इस दवा का प्रयोग 10 से 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए।
- इसकी मात्रा 1 लीटर पानी में 10 बूंद डालनी चाहिए।
- पूरे पौधे पर इसका छिड़काव कर देना चाहिए।
बैंगन का भंडारण (Storage of Brinjal)
बैंगन की टोकरी करने के बाद बेकार बैंगन की चटाई कर लेनी चाहिए यदि आप पासकी मंडी में ले जाना चाहते हैं तो आप पानी में डुबोकर ही रख सकते हैं अन्यथा आप बैंगन को 1 से 2 दिन गर्मियों में तथा तीन से चार दिन सर्दियों में छाया में रखा जा सकता है.
इसको भंडारण करने के लिए 85 से 90% आपेक्षिक आद्रता होनी चाहिए बैंगन की खेती को सुरक्षित रखने के लिए 7 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्सियस पर 7 से 10 दिन तक अच्छी अवस्था में रखा जा सकता है.
बैंगन का उत्पादन कैसे बढ़ाएं (How to increase Brinjal Production)
- कीटो और रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी किस्मो का चुनाव करें।
- अच्छे से मिट्टी की तैयारी करें।
- जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
- कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी चुने।
- बीज और रोपाई सही समय पर करें।
- बैंगन के बीज वसंत या गर्मियों की शुरुआत में लगानी चाहिए।
- नियमित रूप से पानी देना चाहिए जिससे नमी बनी रहे.
- कीटो और रोगों का नियंत्रण करें।
- पौधों की छटाई करें कीटो और बीमारियों के खतरे को कम करने के लिए.
- 10 से 15 दिन के अंतराल पर निराई गुड़ाई करें।
इन सुझावों का पालन करके आप अपनी बैंगन की खेती के उत्पादन को आसानी से बढ़ा सकते हैं और भरपूर फसल का आनंद ले सकते हैं.
तो दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हमने जाना कि कांटे वाले बैंगन की खेती कैसे करे | साथ ही जानिए गोल बैंगन की खेती 2023 हमें आशा है कि आपको कांटे वाले बैंगन की खेती के साथ-साथ आपको गोल बैंगन की खेती की भी जानकारी अच्छी लगी होगी अगर आपको बैंगन की जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।
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