नमस्कार किसान भाइयों आज हम आपको Black amrud ki kheti कैसे और कब करनी है बताने जा रहे हैं इसकी खेती किसानों के लिए आमदनी का बहुत अच्छा व्यवसाय बन गई है ब्लैक गवावा फार्मिंग की कीमत बाजार में थोड़ी महंगी तो जरूर होती है लेकिन यह मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है जिसकी हम आगे बात करेंगे इस वर्ष काले अमरूद की मांग भारत ही नहीं पूरी दुनिया भर में बढ़ गई है इसकी खेती करके आप अधिक मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि अभी ज्यादा किसान इस काले अमरूद की खेती करना नहीं जानते है इसकी पूरी जानकारी के लिए लेख पूरा जरूर पढ़ें।
काले अमरूद की खेती (Black amrud ki kheti) भारत में एक नई और उभरती हुई खेती है यह अमरूद की एक प्रजाति है जिसका रंग काला होता है लेकिन यह स्वाद में और पौष्टिकता में भरपूर होता है इस अमरुद को खाने से उम्र को बढ़ने से रोका जा सकता है काले अमरूद की खेती करने के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है गर्म और शुष्क जलवायु में इसकी खेती नहीं हो पाती है।
ब्लैक अमरूद का पेड़(Black guava tree)
काला अमरूद अपने स्वाद और पौष्टिक गुणों के कारण जाना जाता है यह एक अमरूद की एक नई प्रजाति है काले अमरूद का पेड़ लगभग 5 मीटर से 10 मीटर ऊंचा होता है तथा इसकी शाखाएं और पत्तियां हल्के काले रंग की होती है इसके पेड़ पर सफेद और पीले रंग के फूल आते हैं तथा इसका फल गोल या अंडाकार आकार का होता है एक पल का वजन लगभग 200 ग्राम होता है काले अमरूद के पेड़ का फल पर पतला और काला छिलका पाया जाता है और इसका गुदा सफेद और पीले रंग का होता है जो स्वाद में मीठा और खट्टा दोनों स्वाद लिए हुए होता है।
काले अमरूद की खेती कहां होती है(Black Guava Farming)
काले अमरूद की खेती (Black amrud ki kheti) भारत में की जाने लगी है इसके अलावा काले अमरूद की खेती चीन थाईलैंड जैसे देशों जहां पर उष्णकटिबंधीय और उपोषण कटिबंधीय क्षेत्र पाया जाता है वहां पर की जाती है भारत में काले अमरूद की खेती सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में की जाती है इसके अलावा बिहार पश्चिम बंगाल और दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में की जा रही है।
ब्लैक अमरूद के फायदे(Black Amrud Ki Kheti Benefits in Hindi)
आपको काले अमरूद की खेती (Black amrud ki kheti) क्यों करनी चाहिए इसके पीछे आपके कई प्रसन्न हो सकते है तो आइए जानते हैं आपको काले अमरूद की खेती क्यों करनी चाहिए। काले अमरूद की खेती भारत में और अन्य देशों में भी कम की जाती है लेकिन इसकी मांग बाजार में हमेशा अधिक दामों पर बनी रहती है।
यदि आप कहीं भी काले लेकर बेचने के लिए निकल जाते हैं तो वह हाथों हाथ ही बिक जाते हैं और कीमत भी अच्छी मिलती है और इस समय पर काले अमरूद की खेती बहुत कम की जा रही है इसलिए आप इसकी खेती करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं इसके अनेकों स्वास्थ्य लाभ भी है जिस कारण लोग इसको अधिक पसंद करते हैं।
- यह बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करता है
- यह 2 से 3 साल में फल देना शुरू कर देता है और पूरे वर्ष फल देता रहता है
- काले अमरुद में भरपूर मात्रा में विटामिन सी, विटामिन ए, पोटेशियम, फाइबर और अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं
- काले अमरूद के पेड़ से 100 से 150 किलोग्राम फल प्राप्त हो जाते हैं
- इसकी खेती करने के लिए कम पानी और खाद की आवश्यकता होती है
- आंखों के रोगियों के लिए काला अमरूद बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि इसमें विटामिन ए भी पाया जाता है
- ब्लड प्रेशर या ह्रदय रोगियों के लिए भी यह रामबाण काम करता है
- यदि किसी व्यक्ति को कब्ज की शिकायत हो या पाचन शक्ति में सुधार करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है
- यदि आप वजन बढ़ाना चाहते हैं तो आपको काले अमरूद का सेवन अवश्य करना चाहिए
काले अमरूद की खेती कैसे करें(Black amrud ki kheti)
काली अमरूद की खेती (Black amrud ki kheti) करने के लिए सबसे पहले आपको उपयुक्त मिट्टी और जलवायु के बारे में जानना बहुत जरूरी है हम आपको बता दें कि काले अमरूद की खेती भारत के किसी भी राज्य में किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है।
लेकिन हम आपको दोमट मिट्टी में इसकी खेती करने की सलाह देंगे लेकिन अगर जलवायु की बात करें तो इसकी खेती करने के लिए सर्दी का मौसम अच्छा नहीं होता है। लेकिन आपको यह जानकर बहुत अच्छा लगेगा की आप काले अमरूद की खेती हरे वाले अमरूद की खेती की तरह ही की जाती है।
काली अमरूद की खेती कब करें(Black Guava Farming)
काली अमरूद की खेती आप हरे अमरूद की खेती के अनुसार कर सकते हैं इसके पौधे लगाने का समय जुलाई से अगस्त उपयुक्त रहता है जहां पर सिंचाई की उचित व्यवस्था हो वहां पर फरवरी-मार्च में भी इसके पौधे लगाए जा सकते हैं दो पौधों के बीच की दूरी 6 x 6 मीटर की रखनी होती है।
काले अमरूद की खेती किस मिट्टी में की जाती है
काले अमरूद की खेती (Black amrud ki kheti) करने के लिए उपजाऊ बलुई दोमट भूमि अधिक उपयुक्त होती है इसकी खेती करने के लिए उपयुक्त पीएच मान 4.5 से 8.5 वाली मर्दा में भी की जा सकती है।
काले अमरूद के पौधे की कीमत(black guava plant price)
ब्लैक गवावा की खेती करने के लिए आप अपने आसपास के कृषि बाजार से इसके पौधे खरीद सकते हैं और यदि आपको अपने आसपास इसके पौधे नहीं मिलते हैं तो आप ऑनलाइन माध्यम से भी इसके पौधे खरीद सकते हैं जहां पर इसके एक पौधे की कीमत 160 से ₹200 हो सकती है।
काले अमरूद की खेती के लिए खाद(Fertilizer for black Guava Cultivation)
काले अमरूद की खेती (Black amrud ki kheti) करने के लिए पौधे को अच्छी वृद्धि के लिए पर्याप्त खाद और पोषक तत्व की आवश्यकता होती है प्रथम वर्ष में 10 किलो गोबर की खाद के साथ 60 ग्राम नत्रजन, फास्फोरस और पोटाश देना होता है अगर यदि आप की भूमि में जस्ता की कमी हो तो वहां पर वर्ष में दो बार जिंक सल्फेट एक से 2% घोल का छिड़काव करना चाहिए।
काले अमरुद में सिंचाई
काले अमरूद की खेती करने के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है गर्मियों में 7 से 8 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए और सर्दियों में 15 से 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी होती है।
काले अमरुद में निराई गुड़ाई
काले अमरुद के नए बाग में 15 दिन के अंतराल पर थालो की निराई गुड़ाई करके खरपतवार को निकालते रहते हैं जब पौधा बड़ा हो जाता है उसके बाद वर्षा ऋतु में बाग की जुताई कर देते हैं जिससे खरपतवार नष्ट हो जाती हैं।
काले अमरुद में काट छांट(pruning)
अमरूद में काट छांट का मुख्य उद्देश्य पौधों को अच्छी प्रकार से मजबूत और कीट रहित या रोग रहित करने के लिए किया जाता है इसमें सुखी या रोग ग्रस्त टहनियों को काट देते हैं जिस से नई शाखा निकलती है और फल अधिक लगते हैं।
अमरूद गिरने की दवा(guava fall medicine)
अमरूद की फसल में फल गिरने की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है जिसके कारण अमरूद की फसल की पैदावार कम रह जाती है अमरूद में बाहर नियंत्रण करने के लिए विभिन्न पादप वृद्धि नियामको का प्रयोग किया जाता है इसकी रोकथाम करने के लिए नेप्थलीन एसिटिक एसिड का प्रयोग अधिक सफल सिद्ध हुआ है। जिब्रेलिक एसिड 15 से 30 पीपीएम का प्रयोग फल को गिरने से बचाने के लिए किया जाता है।
अमरूद में लगने वाले कीट और रोग
छाल भक्षी इल्ली(Bark eating caterpillar)
यह कीट पौधों के छाल को खाकर छेद कर देता है जिसके कारण तनु पर कीट द्वारा खाई गई छाल छोटी-छोटी गलियों के आकार की हो जाती है बाद में यह खड़ी हो जाती है।
इसका नियंत्रण करने के लिए कीट द्वारा बनाए गए सुराख को साफ कर देते हैं और सुराख में केरोसिन या पेट्रोल को कपड़े या रुई की सहायता से भिगो कर डाल देते हैं तथास्तु रात को गीली मिट्टी से बंद कर देते हैं .
फल मक्खी(Fruit Fly)
फल मक्खी द्वारा अमरूद की फसल को बहुत अधिक हानि पहुंचती है मर्दा मक्खी फल के अंदर अंडे देती है जो 2 से 3 दिन के बाद अंडो से सूड़ी निकलकर गोदे को खाती रहती है जिससे फल सड़ने लगते हैं और पेड़ से गिर जाते हैं।
इसका नियंत्रण करने के लिए सभी प्रभावित फलों को नष्ट कर देना चाहिए तथा गर्मियों के दिनों में बाघ की जुताई करनी चाहिए और वर्षा कालीन फसल नहीं लेनी चाहिए इसके अलावा पौधों पर 0.5% मेलाथियान के घोल का छिड़काव करना चाहिए।
उकटा रोग(Wilt Disease)
इस रोग से प्रभावित पेड़ों की पत्तियां पीली पड़ जाती है इसके बाद सूखकर नीचे गिर जाती है पेड़ की पतली टहनियां ऊपरी हिस्से की ओर से सुखना प्रारंभ करती है जिसके कारण पूरा पेड़ सूख जाता है इस रोग का प्रकोप छारीय मृदा में अधिक देखने को मिलता है।
इसकी रोकथाम करने के लिए प्रारंभिक अवस्था में 1 ग्राम बैंलेट या कार्बेंडाजिम प्रति लीटर पानी या 3 ग्राम थिराम प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर गड्ढे को उपचारित करना चाहिए। 8 कवीनालीनोल सल्फेट का प्रयोग भी इस रोग को नियंत्रित करने में सहायता करता है।
तना केंकर(Stem canker)
इस रोग के कारण पेड़ की डालियों की छाल फट जाती है जिसके कारण तत्वों का आगमन आना जाना रुक जाता है और पूरा पेड़ सूख जाता है।
इस रोग का नियंत्रण करने के लिए प्रभावित भाग को काटकर अलग कर देना चाहिए तथा कटे हुए भाग पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड के पेस्ट का लेप का देना चाहिए।
एंथ्रेक्नोज रोग(Anthracnose)
अमरूद की फसल में लगने वाला यह प्रमुख रोग है जो कवक के द्वारा होता है इसका प्रकोप वर्षा ऋतु में अधिक होता है जो फलों को खराब कर देता है पहले छोटे धब्बे फलों पर दिखाई देते हैं जो बाद में बड़े हो जाते हैं इस रोग में पेड़ ऊपर से सुखना आरंभ करता है।
इसकी रोकथाम करने के लिए बोर्डो घोल का छिड़काव 7 दिन के अंतराल पर न्यूनतम 3 बार करना चाहिए या इसके अलावा डाईफोलेटोन 0.3% या डाईथेन जेड – 78 0.2 प्रतिशत के घोल का छिड़काव महीने में एक बार करना चाहिए।