Dhaniya Ki Kheti: एक लाभदायक व्यवसाय हो सकता है क्योंकि धनिए की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है धनिया एक महत्वपूर्ण मसाला पौधा होता है इसकी खेती करना किसानों के लिए अच्छी आय का स्रोत हो सकता है यह एक वर्षीय पौधा होता है जो गर्म और नम जलवायु में अच्छी वृद्धि करता है धनिया के बीच में बहुत औषधीय गुण भी पाए जाते हैं इसके बीज और पत्तियों का प्रयोग भोजन को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाने के लिए किया जाता है इसकी खेती के लिए उपयुक्त दोमट मिट्टी और बोने का समय अक्टूबर से नवंबर उपयुक्त रहता है।
धनिया के बारे में जानकारी
बहुत पुराने समय से ही विश्व में भारत मसाले की खेती के लिए प्रसिद्ध रहा है भारत में धनिया की खेती मुख्य रूप से की जाती है धनिया के बीज और पत्तियां दोनों भोजन को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाने के लिए काम में आते हैं इसमें विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण होते हैं जैसे यदि उल्टी होने पर इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर दिया जाए तो उल्टी में आराम मिलता है इसके अलावा यह कार्मिनेटिव और डायरेक्टिव रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
भारत विश्व का सबसे अधिक धनिया उत्पादन करने वाला देश है भारत में करने वाले प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश राजस्थान हरियाणा उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र है. भारत में धनिया की खेती मध्य प्रदेश में सबसे अधिक की जाती है जहां पर इसकी औसत उपज 428 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर होती है।
Dhaniya Ki Kheti का महत्व
धनिया की खेती (Dhaniya Ki Kheti) करना किसानों के लिए एक मुनाफे का सौदा है यह सब्जियों को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है इसके अनेक प्रकार के औषधि है लाभ भी है धनिए का प्रयोग पाचन तंत्र कब्ज पेट दर्द और अन्य पाचन संबंधी समस्याओं में भी किया जाता है।
इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं जो शरीर को रोगों से लड़ने में सहायता करती है। यह एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक फसल है इसकी खेती करके आप विदेश में भी निर्यात कर सकते हैं. इसके अलावा इसमें कोलेस्ट्रॉल कम करने रक्त शर्करा को नियंत्रित करने और कैंसर बचाव के साथ त्वचा और बालों के लिए भी लाभकारी है।
Dhaniya Ki Kheti की भूमि
धनिया की खेती करने के लिए उचित जल निकास वाली अच्छी दोमट भूमि की आवश्यकता होती है और यदि असिचित फसल करना चाहते हैं इसके लिए आपको कई भारी भूमि में इसकी खेती करनी चाहिए धनिया अधिक क्षारीय और लवणीय भूमि को सह नहीं कर पता है अच्छी जल निकास वाली जिसमें कार्बनिक पदार्थ के साथ-साथ भूमि की उर्वरता शक्ति भी अच्छी हो उपयुक्त रहती है इसकी खेती करने के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए।
धनिया की खेती (Dhaniya Ki Kheti) करने से पहले भूमि की अच्छी प्रकार से तैयारी कर लेनी चाहिए अगर जुताई के समय भूमि में आवश्यकता अनुसार जल ना हो तो भूमि की तैयारी करते समय पलेवा कर देना चाहिए ऐसा करने से जमीन में ढीले भी टूट जाते हैं और खरपतवार भी नष्ट हो जाती है जिससे बीजों का अंकुरण जल्दी और अच्छा होता है यदि मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी हो तो 10 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से नाइट्रोजन लेना चाहिए।
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धनिया बुवाई का समय
धनिया की खेती रबी मौसम में की जाती है धनिया बुवाई का उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर का माना जाता है यदि आप दानों के लिए धनिए की खेती करना चाहते हैं तो आपको नवंबर के प्रथम सप्ताह में इसकी बुवाई करनी चाहिए .
यदि आप हरे पत्तों की फसल लेना चाहते हैं तो आपको अक्टूबर से दिसंबर के समय में धनिए की बुवाई करनी चाहिए धनिए को पाले से अधिक नुकसान हो जाता है इसलिए धनिया को पाले से बचने के लिए नवंबर के द्वितीय सप्ताह में बोना अच्छा रहता है।
धनिये का बीज उपचार
धनिए की खेती में अनेक प्रकार के रोग और गीत देखने को मिलते हैं उनकी रोकथाम करने के लिए बाय से पहले बीजों को अच्छी तरह से उपचारित करना चाहिए भूमि और बी जनित रोगों से बचाव करने के लिए बीजों को कार्बेण्डाजिम और थाराम (2:1) ग्राम /किलोग्राम या फिर कार्बेण्डाजिन 37.5 प्रतिशत 3 ग्राम प्रति किलो के हिसाब से उपचारित करना चाहिए।
इसके साथ यदि आप ट्राईकोड्रमा विरिडी 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करना चाहिए यदि आप बीज जनित रोग से बचाव के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन 500 पी पी एम से उपचारित करते हैं तो यह अधिक लाभ देता है।
धनिया के लिए जलवायु
धनिया की खेती (Dhaniya Ki Kheti) करने के लिए शुष्क और ठंडा मौसम अच्छा रहता है धनिया के बीज को अंकुरित होने के लिए 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है धनिया शीतोष्ण जलवायु की फसल होने के कारण फुल तथा दाना बनने की अवस्था आने पर पाला से बचने की आवश्यकता होती है क्योंकि पाले से धनिए की खेती को बहुत अधिक हानि पहुंचती है।
खाद एवं उर्वरक
धनिया की अच्छी पैदावार के लिए खाद एवं उर्वरक का प्रयोग जरूर करना चाहिए सड़ी हुई गोबर की खाद 20 टन प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए बाय के समय 10 किलोग्राम डीएपी और 15 किलोग्राम पोटाश देना चाहिए इसके अलावा यूरिया की 25 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से बुवाई के समय देनी चाहिए इसके 1 महीने बाद दोबारा से एन पी के देना चाहिए।
धनिया में सल्फर कब डालें
यदि आप धनिया की खेती बीज के लिए कर रही है तो आपको सल्फर का प्रयोग जरूर करना चाहिए इसका प्रयोग पौधों पर फूल आने की अवस्था में मोनो अमोनियम सल्फेट का स्प्रे करना चाहिए ऐसा करने से धनिया की खेती की उपज में वृद्धि हो जाती है और पौधों का विकास अच्छा होता है।
धनिया की उन्नत किस्में
- हिसार सुगंध
- कुंभराज
- आरसीआर 435
- आरसीआर 436
- आरसीआर 446
- आरसीआर 480
- आरसीआर 728
- आरसीआर 684
- पंत हरितमा
- जे डी 1
- ए सी आर 1
- सिम्पो एस 33
- जी सी 2 (गुजरात धनिया)
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धनिया की खेती में खरपतवार नाशक दवा
धनिया की खेती (Dhaniya Ki Kheti) में खरपतवार की समस्या अवश्य होती है इसीलिए पहले ही खरपतवार नियंत्रण के लिए उचित उपाय करने चाहिए खरपतवार धनिया की फसल से पोषक तत्व और पानी का अवशोषण कर लेते हैं जिससे धनिया के पौधे को पर्याप्त पानी और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं इसके कारण धनिया की उपज में कमी आ जाती है धनिया की खेती में कुछ खरपतवार नाशक नीचे दिए गए हैं-
पेंडिमिथिलीन: धनिया की खेती में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए आप इसका उपयोग कर सकते हैं जो एकल पत्ती वाले और दोहरे पत्ती वाले खरपतवार को नियंत्रित करता है इसका प्रयोग बुवाई करने के तुरंत बाद करना चाहिए।
डाईक्लोफोस: इसका उपयोग भी धनिया की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए किया जाता है यह एक दोहरे पत्ती वाले खरपतवार को नियंत्रित करता है और इसका उपयोग बुवाई करने के 45 से 60 दिनों के बाद किया जाता है
खरपतवार का छिड़काव करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए
- खरपतवार का छिड़काव करते समय हवा की दिशा का ध्यान रखें ताकि खरपतवार धनिया की फसल पर ना पड़े
- खरपतवार नाशक का छिड़काव करते समय सुरक्षा उपकरण पहने जैसे मास्क दस्ताने और जूते
- खरपतवार नशा का छिड़काव केवल उसे समय पर करना चाहिए जब पौधे छोटे हो या धनिया की फसल अच्छी तरह से विकसित हो गई हो.
- खरपतवार नाशक की मात्रा का आवश्यकता अनुसार ही प्रयोग करना चाहिए
- खरपतवार नियंत्रण करने के लिए आप हाथ द्वारा भी खरपतवार निकाल सकते हैं
धनिया बोने की विधि
धनिया की बुवाई करने से पहले बीज को उपचारित करना चाहिए धनिया को बोने से पहले इसके बीज को हल्का रगड़ा लगाकर दो टुकड़ों में बांट देते हैं उपयोग करना अच्छा रहता है क्योंकि इसकी बुवाई हमेशा कतारो में करनी चाहिए कतारो से कतारो की दूरी लगभग 7 से 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
अगर आप इसकी दूरी बुवाई पंक्ति में करना चाहते हैं तो भी अच्छी उपज प्राप्त हो जाती है एक बात का ध्यान रखना चाहिए इसके बीच की बुवाई ज्यादा गहराई में नहीं करनी चाहिए अन्यथा बीच में अंकुरण जल्दी और ठीक नहीं हो पता है।
धनिया का उत्पादन
धनिया की खेती (Dhaniya Ki Kheti) की कटाई बीजों के किस्म के आधार पर की जाती है भारत में धनिया का उत्पादन 2021 और 22 में एक मिलियन टन से भी ज्यादा रहा था। भारत दुनिया का सबसे बड़ा धनिया उत्पादक देश है। भारत में धनिए की औसत उपज 100 से 150 कुंतल प्रति हेक्टेयर होती है यदि अच्छी तरह से इसकी खेती की जाए तो प्रति हेक्टेयर 200 से 250 कुंतल तक उपज प्राप्त हो जाती है।
धनिया की फसल को तैयार होने में 80 से 110 दिन का समय लगता है. जब धनिया के पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगे और नीचे गिरने लगे तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए कटाई करने के बाद इनको सुख कर जब इसके डंठल पूरी तरह से सुख जाए तो बीजों को निकाल लेते हैं हरे धनिए की मांग बाजार में हमेशा रहती है इसलिए आप इसके बीजों के साथ इसके पत्तियों से भी पैसे कमा सकते हैं।