Lal Patta Gobhi Ki Kheti | लाल पत्ता गोभी की खेती | Red Cabbage Cultivation In Hindi

Lal Patta Gobhi Ki Kheti: नमस्कार दोस्तों आप सभी का एग्रीकल्चर ट्री के एक और महत्वपूर्ण लेख में स्वागत है यहां आपको कृषि से संबंधित खेती की जानकारी दी जाती है आज हम आपको लाल पत्ता गोभी की खेती के बारे में जानकारी देंगे क्योंकि इस गोभी की मांग बाजार में अधिक होती है और यह बहुत आसानी से अच्छी कीमत पर बिक जाती है इस लेख में हम लाल पत्ता गोभी के लिए उपयुक्त मिट्टी उन्नत किस्में जलवायु तापमान नर्सरी खेत की तैयारी उर्वरक उत्पादन के साथ कमाई और लाल पत्ता गोभी के क्या-क्या फायदे हैं और इस गोभी का रंग लाल क्यों होता है यह भी बताएंगे कृपया लेख को पूरा पढ़ें।

लाल पत्ता गोभी का वनस्पतिक नाम ब्रासिका ओलैरासिया या बी ओलैरासिया होता है दरअसल यह एक सफेद गोभी का प्रकार होता है जो ब्रासिका परिवार के अंदर तीन अलग-अलग गोभी का वंशज  है अभी बाजार में लाल गोभी की डिमांड में बढ़ोतरी हुई है इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन तथा खनिज पदार्थ होते हैं जिनमें कुछ प्रमुख है जैसे – विटामिन, मैग्नीशियम, ल्यूटीन, कैल्शियम, इसकी खेती करके अनेकों किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं तो आइए जानते हैं लाल पत्ता गोभी की खेती आप कैसे और कब कर सकते हैं।

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लाल पत्ता गोभी की खेती | Lal Patta Gobhi Ki Kheti

लाल पत्ता गोभी एक पौष्टिक और स्वादिष्ट सब्जी है क्योंकि इसके अंदर विटामिन ए विटामिन सी आईरन कैलशियम फाइबर मैग्नीशियम और फाइबर का अच्छा स्त्रोत होती है भारतवर्ष में इसकी खेती कई राज्यों में की जाती है लाल पत्ता गोभी की खेती एक लाभदायक व्यवसाय हो सकती है लाल पत्ता गोभी का लाल रंग एंथोसायनिन के कारण होता है इसके कारण गोभी का रंग बैंगनी गुलाबी लाल भी हो सकता है लाल पत्ता गोभी में हरी पत्ता गोभी से अधिक विटामिन ए पाया जाता है साथ ही आयरन की भी मात्रा दोगुनी होती है।

लाल पत्ता गोभी के लिए भूमि

लाल पत्ता गोभी की खेती (Lal Patta Gobhi Ki Kheti) करने के लिए हरी पत्ता गोभी के समान मिट्टी की आवश्यकता होती है लाल पत्ता गोभी की खेती करने के लिए हल्की दोमट या बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो सबसे उपयुक्त होती है अगर मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 के बीच रहता है तो वह भूमि लाल पत्ता गोभी की खेती करने के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

खेत की तैयारी

लाल पत्ता गोभी की अच्छी पैदावार करने के लिए अच्छी प्रकार से खेत की तैयारी करनी जरूरी होती है प्रथम जुताई करने के बाद खेत में मिलने वाले हानिकारक खरपतवार और अनावश्यक ईट पत्थर कपड़े या हानिकारक कीट पतंगों को खेत से निकालकर अलग कर देना चाहिए इसके बाद दो से तीन बार हल या हैरो से मिट्टी की जुताई करनी चाहिए। ऐसा करने से मिट्टी ढीली और एक समान हो जाती है जिससे बुवाई करने में आसानी रहती है।

लाल पत्ता गोभी की बीज की मात्रा

लाल पत्ता गोभी की फसल (Lal Patta Gobhi Ki Kheti) को रोगों और कीटों से बचाने के लिए बीजों को बुवाई से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना अच्छा रहता है इससे बीजों का अंकुरण भी अच्छा होता है लाल पत्ता गोभी की खेती करने के लिए 400 से 500 ग्राम प्रति हेक्टर बीज की आवश्यकता पड़ती है।

लाल पत्ता गोभी बोने की विधि

लाल पत्ता गोभी को सीधी बुवाई के द्वारा भी उगाया जा सकता है ऐसा करने के लिए सबसे पहले खेत को अच्छे से तैयार करने के बाद बीजों को 4 से 6 सेंटीमीटर की दूरी पर और 2 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना जाना चाहिए। या

लाल पत्ता गोभी की खेती (Lal Patta Gobhi Ki Kheti) करने के लिए सबसे पहले पौधों को नर्सरी में क्यारी तैयार करके दो से 4 सेंटीमीटर के छोटे बीज डाले और 3 सेंटीमीटर की दूरी पर कतार बनाकर इसकी गहराई एक से 4 मिमी रखें और नर्सरी में सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट की परत बिछा देते हैं इसके बाद पौधा 20 से 25 दिनों में तैयार हो जाता है पौधे की लंबाई 10 से 12 सेंटीमीटर ऊंचा हो जाने के बाद क्यारियों में लगा देना चाहिए दो पौधों के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

लाल पत्ता गोभी की सिंचाई

लाल पत्ता गोभी की अच्छी पैदावार लेने के लिए पहली हल्की सिंचाई रोपाई करने के तुरंत बाद की जाती है इसके बाद 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई मिट्टी की आवश्यकता अनुसार करते रहते हैं सर्दियों के दिनों में हल्की सिंचाई सप्ताह में एक बार करते हैं।

खरपतवार नियंत्रण

लाल पत्ता गोभी की अच्छी पैदावार लेने के लिए खरपतवार नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है अन्यथा पैदावार में कमी आ सकती है खरपतवार नियंत्रण करने के लिए 20 से 25 दिनों के बाद निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए।

लाल पत्ता गोभी के लिए खाद एवं उर्वरक

प्रथम जुताई के बाद मिट्टी में 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर जुताई के समय मिला देनी चाहिए उसके बाद 60 किलोग्राम नत्रजन 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए नत्रजन की आधी मात्रा खड़ी फसल में रोपाई करने के 30 दिन बाद करनी चाहिए तथा शेष आधी मात्रा को 60 दिन के बाद खेत में देना चाहिए।

लाल पत्ता गोभी की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में

रेड राक किस्म: यह लाल पत्ता गोभी की आसानी से अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है इसके एक हेड का वजन 250 से 300 ग्राम होता है इसका रंग लाल होता है जिसके कारण बाजार में इसकी अधिक मांग बनी रहती है।

रेड ड्रम हेड किस्म: यह भी लाल पत्ता गोभी की अधिक उत्पादन देने वाली किस्म है इस किस्म का हेड आकार में सामान्य से बड़ा होता है और अंदर से गहरा लाल तथा ठोस होता है अगर हम इसके वजन की बात करें तो इसका वजन लगभग 500 ग्राम से 1.5 किलो तक होता है।

पत्ता गोभी के लिए जलवायु और तापमान

लाल पत्ता गोभी की खेती (Lal Patta Gobhi Ki Kheti) सर्दियों के दिनों में की जाती है क्योंकि इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है इसकी खेती करने के लिए जलवायु का विशेष महत्व होता है इसके लिए उपयुक्त तापमान रखने के लिए आप इसकी खेती ग्रीनहाउस या फिर पॉलीहाउस के अंदर कर सकते हैं क्योंकि इनके अंदर तापमान अपने मन के अनुसार रखा जा सकता है। इसकी खेती करने के लिए 15 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है।

रोग और कीट नियंत्रण

लाल पत्ता गोभी की फसल में कई प्रकार के रोग और कीट लग सकते हैं इनके बचाव करने के लिए बुवाई के समय बीज को उपचारित करके बोना चाहिए और समय-समय पर कीटनाशक और रोग नाशक का छिड़काव करना चाहिए।

लाल पत्ता गोभी में लगने वाले प्रमुख रोग निम्नलिखित है

मृदुरोमिल आसिता:

यह कवक से होने वाला रोग है इसके कारण पत्तियों पर पीले और भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं यह रोग अधिक नमी और ठंडे मौसम में फैलता है।

काले सड़न:

यह भी एक कवक रोग है जो पत्तियों पर काले रंग के धब्बे बना देता है यह रोग भी अधिक नमी और ठंडे मौसम में फैलता है।

अल्टरनरिया काला धब्बा रोग:

यह भी कवक से होने वाला रोग है इसके कारण पत्तियों पर काले रंग के धब्बे बन जाते हैं पत्तियां प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाती है।

रोगों की रोकथाम के लिए उपाय

  1. रोगों से बचने के लिए रोग रहित बीज का उपयोग करना चाहिए
  2. समय समय पर खाद और उर्वरक देना चाहिए
  3. खरपतवार नियंत्रण करना चाहिए
  4. नियमित रूप से आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिए
  5. खेत की मिट्टी रोग रहित होनी चाहिए
  6. फसल चक्र अपनाना चाहिए
  7. रोगों से प्रभावित पौधों को खेत से निकाल कर जला देना चाहिए
  8. सही समय पर बुवाई और कटाई करनी चाहिए

गोभी छेदक:

यह पत्ता गोभी का एक प्रमुख कीट है जो पत्तियों को खाकर फसल को बर्बाद कर देता है जिसके कारण पैदावार में कमी आ जाती है।

गोभी सुंडी:

इस कीट की मादा पतंगे पत्तियों में छेद कर देती है और पत्तियों के नीचे अपने अंडे देती है इनके अंडे से निकलने वाली इल्लियां पत्तियों को खाती रहती है और तने में भी घुस जाती है।

कीटों की रोकथाम के लिए उपाय

  1. कीट रहित बीज का उपयोग करना चाहिए
  2. कीट से प्रभावित पौधों को खेत से निकाल कर जला देना चाहिए
  3. खेत की मिट्टी को कीट रहित रखना चाहिए
  4. समय समय पर खाद और उर्वरक देना चाहिए
  5. सही समय पर कटाई और बुवाई की जानी चाहिए
  6. कीटों का प्रकोप दिखने पर तुरंत उपचार करना चाहिए

इन सावधानियों का यदि आप पालन करते हैं तो लाल पत्ता गोभी की फसलों में रोगों और कीटों से बचा जा सकता है और पैदावार में वृद्धि की जा सकती है।

लाल पत्ता गोभी की कटाई

लाल पत्ता गोभी (Lal Patta Gobhi Ki Kheti) की रोपाई करने के 70 से 80 दिनों के बाद कटाई के योग्य हो जाती है इसकी कटाई करने के बाद बाहर के शीर्ष पत्तों को हटा देते हैं फिर शीर्ष को दो से 3 सेंटीमीटर की गहराई से काटना चाहिए।

लाल पत्ता गोभी की खेती में खर्चा और कमाई

लाल पत्ता गोभी की औसत उपज 150 से 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर मिल जाती है इसकी पैदावार भूमि और जलवायु पर भी निर्भर करती है उपयुक्त जलवायु और भूमि मिलने पर इसका पैदावार अच्छी होती है बड़े-बड़े होटल और रेस्टोरेंट में इस लाल पत्ता गोभी की मांग अधिक होती है और वहां पर इसकी कीमत भी अधिक मिलती है लाल पत्ता गोभी की बाजार में कीमत 3000 से ₹6000 प्रति कुंटल तक मिल जाती है. लाल पत्ता गोभी की खेती (Lal Patta Gobhi Ki Kheti) करने में ₹20000 प्रति हेक्टेयर लागत आती है।

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