Shimla Mirch Ki Kheti: उत्तर प्रदेश में शिमला मिर्च की खेती | Shimla Mirch In Hindi

Shimla Mirch Ki Kheti:  सभी किसान साथियों का एग्रीकल्चर ट्री में स्वागत है आज हम आप लोगों को शिमला मिर्च की खेती की पूरी जानकारी वैज्ञानिक तकनीक से खेती बताने वाले हैं जिसके द्वारा आप कम खर्च करके अधिक मुनाफा कमा सकें। बहुत से किसानों को खेती करने का सही तरीका नहीं पता होने के कारण उनकी लागत मुनाफे से अधिक लग जाती है जिसके कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है अगर आप भी कम खर्च में अधिक पैदावार करना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें।

हमारे देश में जलवायु के अनुसार 1 वर्ष में 3 बार शिमला मिर्च की खेती की जाती है शिमला मिर्च में अनेकों प्रजातियां अधिक उत्पादन देने वाली पाई जाती है यह मसाले आचार एवं सब्जी आदि के लिए उगाई जाती है इसकी खेती पूरे देश में की जाती है। आंध्र प्रदेश में मिर्च सर्वाधिक क्षेत्र में पैदा की जाती है लेकिन शिमला मिर्च का उत्पादन सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल ने किया जाता है।

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शिमला मिर्च का पौधा

शिमला मिर्च का पौधा एक बारहमासी पौधा होता है जो भारत में 1 वर्षीय पौधे के रूप में पाया जाता है यह लगभग 1 से 2 मीटर ऊंचा होता है इसके पतले और लंबे तने होते हैं पत्तियों का आकार अंडाकार और रंग हरा होता है इसके पौधे पर फूल छोटे और सफेद रंग के आते हैं जो गुच्छो में लगते हैं शिमला मिर्च के फल गोल या बेल आकार आकार में पॉलिथीन का रंग हरा पीला और लाल हो सकता है।

शिमला मिर्च के पौधे को उष्णकटिबंधीय और उपोषणकटिबंधीय जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है यह पौधा धूप और गर्मी को पसंद करता है इसके पौधे को 10 से 15 दिनों में एक बार खाद देना चाहिए शिमला मिर्च के पौधे को आमतौर पर बीज के द्वारा उगाया जाता है इसके अंकुरण होने में लगभग 10 से 15 दिन का समय लगता है। शिमला मिर्च का पौधा 60 से 70 दिनों में फल देने लगता है।

Shimla Mirch Ki Kheti कब और कैसे करें

शिमला मिर्च की खेती कहां होती है

शिमला मिर्च की खेती (Shimla Mirch Ki Kheti) भारत के सभी राज्यों में होती है सबसे ज्यादा शिमला मिर्च की खेती उत्तर प्रदेश के साथ मध्य प्रदेश गुजरात राजस्थान और महाराष्ट्र राज्य में की जाती है क्योंकि इन राज्यों में शिमला मिर्च की खेती करने के लिए अनुकूल जलवायु और मिट्टी पाई जाती है इसकी खेती के लिए उपयुक्त जलवायु गर्म और अद्र् होनी चाहिए इसकी खेती का विकास भी से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर अच्छा होता है।

उत्तर प्रदेश में शिमला मिर्च की खेती

उत्तर प्रदेश में शिमला मिर्च की खेती (Shimla Mirch Ki Kheti) करना एक लाभदायक व्यवसाय है क्योंकि यहां पर शिमला मिर्च के लिए उपयुक्त सभी प्रकार की आवश्यकताएं जैसे जलवायु और मिट्टी पाई जाती है उत्तर प्रदेश में शिमला मिर्च की खेती मुख्य रूप से दो मौसम में की जाती है : उत्तर प्रदेश में शिमला मिर्च की पहली बुवाई खरीफ के मौसम में की जाती है और दूसरी बुवाई का रबीके मौसम में सफलतापूर्वक की जा सकती है।

शिमला मिर्च की खेती के लिए भूमि

(Shimla Mirch Ki Kheti) सभी प्रकार की भूमि में उगाई जा सकती है अच्छे जल निकास वाली दोमट मिट्टी जिसमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा पर्याप्त हो मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त होती है. इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी भूमि बलुई या बलुअर दोमट मिट्टी अच्छी रहती है और पीएच मान 5.6 – 6.8 होना चाहिए।

शिमला मिर्च की खेती का समय

शिमला मिर्च की खेती अधिक मुनाफा देने वाली फसल है क्योंकि इसको 1 साल में 3 बार लगाया जा सकता है।

  1. रबी का मौसम – इस मौसम में शिमला मिर्च की खेती अक्टूबर महीने से दिसंबर के महीने में की जाती है इस समय तापमान 15 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड होता है जोकि शिमला मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त माना जाता है.
  2. खरीफ का मौसम – इस मौसम में शिमला मिर्च की खेती जून से लेकर अगस्त के महीने में सफलतापूर्वक की जाती है और इस समय पर तापमान लगभग 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड होता है इस तापमान पर भी शिमला मिर्च की खेती की जा सकती है।
  3. जायद का मौसम – इस मौसम में शिमला मिर्च की खेती करने के लिए फरवरी से अप्रैल के महीनों में शिमला मिर्च की खेती की बुवाई की जाती है और इस समय पर तापमान 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहता है जोकि शिमला मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त होता है।

भारत में सबसे अच्छा शिमला मिर्च के बीज

शिमला मिर्च की अच्छी पैदावार करने के लिए अच्छी किस्म के बीजों का चुनाव करना बहुत जरूरी है जो निम्नलिखित प्रकार से हैं:

  • शिमला मिर्च सोलन हाइब्रिड वन
  • शिमला मिर्च कैलिफोर्निया वंडर
  • अर्का गौरव
  • अर्का मोहनी
  • येलो वंडर
  • रॉयल वंडर
  • भारत अर्का बसंत
  • आशा
  • ओरोबेली
  • बॉम्बे लरियो

शिमला मिर्च के बीजों को खरीदते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. बीजों को हमेशा वहां से खरीदना चाहिए जहां पर आपका विश्वास हो अर्थात एक अच्छी ब्रांड वाले कंपनी से बीज को ही खरीदना चाहिए
  2. बीज को खरीदते समय पैकिंग को ध्यान से देखें वह कहीं से फटी हुई या कटी तो नहीं है ऐसे पैकेट को नहीं खरीदना चाहिए
  3. बीजों की तारीख को ध्यान से देखें यदि डेट एक्सपायर हो जाए तो ऐसे पैकेट को नहीं खरीदे।

(Shimla Mirch Ki Kheti)

शिमला मिर्च कितने दिन में फल देता है

शिमला मिर्च के पौधे 60 से 70 दिनों में फल देना शुरू कर देते हैं हालांकि यह शिमला मिर्च की किस्म और जलवायु के आधार पर निर्भर करता है कुछ किस्मे जो देर से पकती है वह 80 से 90 दिनों में फल देना शुरु कर देती है. शिमला मिर्च के पौधे को अच्छी धूप और अच्छी से सूखा हुआ मिट्टी में भी अच्छी प्रकार से बढ़ते हैं। 

शिमला मिर्च की दवा

शिमला मिर्च (Shimla Mirch Ki Kheti) की अच्छी पैदावार के लिए जब फसल में फूल आना आरंभ हो जाए तो प्लानोफिक्स दवा लगभग 2 एमएम प्रति लीटर पानी में मिलाकर प्रथम छिड़काव करना चाहिए प्रथम छिड़काव के लगभग 1 महीने बाद दूसरा छिड़काव करना चाहिए इससे फूलों का गिरना काफी कम हो जाता है और शिमला मिर्च के पैदावार में अत्यधिक वृद्धि होती है।

बीज उपचार के लिए दवा

शिमला मिर्च के बीज उपचार के लिए बुवाई के समय बीजों को उपचारित करना बहुत आवश्यक होता है ऐसा करने से अनेक प्रकार के रोग और कीटों का प्रकोप कम हो जाता है इसके लिए आप थायराम या मैनकोज़ेब और कार्बेंडाजिम आदि दवा का उपयोग कर सकते हैं इसके अलावा आप खेत में जुताई करते समय डीएपी और गोबर की खाद या केंचुए की खाद जिप्सम आदि का प्रयोग करना चाहिए।

शिमला मिर्च की नर्सरी कैसे तैयार करें

  1. शिमला मिर्च की नर्सरी तैयार करने के लिए ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जो हवादार और धूपदार हो
  2. ऐसी भूमि पर वो शिमला मिर्च की नर्सरी तैयार नहीं करनी चाहिए जहां पर जलभराव की समस्या रहती हो
  3. शिमला मिर्च की खेती (Shimla Mirch Ki Kheti) करने से 1 महीने पहले नर्सरी की बुवाई करनी चाहिए
  4. नर्सरी तैयार करने के लिए मिट्टी को अच्छी प्रकार से भुरभुरी और उपजाऊ बनाना चाहिए
  5. इसके लिए आप दो से तीन टोकरी वर्मी कंपोस्ट और सड़ी हुई गोबर की खाद मैं 50 ग्राम फ़ोटेट दवा प्रति  क्यारी में मिलाना चाहिए
  6. नर्सरी की क्यारियों को 30 सेंटीमीटर चौड़ी और 15 सेंटीमीटर गहरी बनाई जाती है दोनों क्यारियों के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए
  7. बीज की बुवाई करने के लिए क्यारियों में 5 सेंटीमीटर की दूरी पर 1 सेंटीमीटर गहरी नाली बनाकर बीज डालना चाहिए और ऊपर से हल्की मिट्टी डाल देते हैं.
  8. बुवाई के बाद क्यारियों को पानी देना चाहिए इस बात का ध्यान रखें कि मिट्टी में नमी बनी रहनी चाहिए
  9. नर्सरी में उगने वाले पौधों की नियमित रूप से देखभाल करनी चाहिए समय-समय पर हानिकारक खरपतवार की निराई गुड़ाई करनी चाहिए
  10. कीटो और रोगों से बचने के लिए कीटनाशक या फफूंदीनाशक दवा का प्रयोग कर सकते हैं
  11. शिमला मिर्च के पौधे की रोपाई 30 से 35 दिनों के बाद खेत में की जाती है रोपाई करते समय 20 से 25 सेंटीमीटर चौड़ी और 30 सेंटीमीटर गहरी क्यारियां बनानी चाहिए और 40 से 50 सेंटीमीटर की दूरी पर पौधों की रोपाई करनी चाहिए।

शिमला मिर्च के बीज का भाव

शिमला मिर्च के बीज का भाव 1200 रुपए प्रति किलोग्राम है यह कीमत बीज की किस्म और मात्रा और आपूर्ति या मांग के आधार पर भिन्न हो सकती है। शिमला मिर्च के बीज आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से खरीद सकते हैं ऑनलाइन खरीदने से आपको घर बैठे बीज प्राप्त हो जाते हैं जबकि ऑफलाइन खरीदने से आपको बीज की गुणवत्ता और ताजगी का पता लगाने का अवसर मिलता है। (Shimla Mirch Ki Kheti)

शिमला मिर्च में लगने वाले रोग

पाउडरी मिलडायू रोग

यह फफूंदी से होने वाला रोग है इसका प्रकोप पत्तियों तनो और फलों पर सफेद पाउडर के रूप में देखने को मिलता है इस के प्रकोप से पौधे की विधि रुक जाती है और फल नीचे गिर जाते हैं।

ब्लॉसम एंड रोट

यह रोग जीवाणु से होता है इसका प्रकोप फल के सिरों पर भूरे या काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जिसके कारण फल खराब हो जाते हैं और खाने योग्य नहीं रहते है।

एंथ्रेक्नोज रोग

यह भी फफूंदी से होने वाला रोग है इसमें पत्तियों और तने और फलों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं जिसके कारण पौधे की वृद्धि रुक जाती है और फल गिर जाते हैं।

बैक्टीरियल विल्ट रोग

यह जीवाणु से होने वाला रोग है जो पौधों की जड़ों और तने को संक्रमित करता है जिसके कारण पौधा सूख जाता है और इसके बाद मर जाता है।

शिमला मिर्च में लगने वाले कीट

थ्रिप्स कीट

यह एक कीट है जो की पत्तियों, फल और तने का रस चूसता है जिसके कारण पत्तियां पीली हो जाती है और धीरे-धीरे सफेद धब्बे पड़ जाते हैं फल का आकार छोटा रह जाता है।

सफेद मक्खी

यह भी एक कीट है जो पौधे की पत्तियों से रस को चूसता रहता है और पत्तियों पर पीले या सफेद धब्बे पड़ जाते हैं जिसके कारण पौधों का विकास अच्छा नहीं हो पाता है और फलों का आकार छोटा रह जाता है।

माइट कीट

यह भी शिमला मिर्च की खेती को नुकसान पहुंचाने वाला प्रमुख कीट है जो पत्तियों के नीचे रहकर रस चूसता है जिसके कारण पत्तियों पर पीले या सफेद धब्बे बन जाते हैं और फलों का आकार भी छोटा रह जाता है।

शिमला मिर्च (Shimla Mirch Ki Kheti) की फसल में रोगों और कीटों की रोकथाम के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-

  • हमेशा उच्च गुणवत्ता वाले बीच का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • रोग और कीट प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करें।
  • समय से उचित सिंचाई और खाद का रास्ता करनी चाहिए।
  • नियमित रूप से पानी देना चाहिए लेकिन अधिक पानी नहीं देना चाहिए।
  • रोग और कीट के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत उपचार करना चाहिए।
  • समय पर खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई गुड़ाई करनी चाहिए।
  • रोग या कीट से प्रभावित पौधों को उखाड़ कर खेत से बाहर जला देना चाहिए।
  • इसके अलावा आप कीटनाशक और फफूंदी नाशक का भी छिड़काव कर सकते हैं।

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