Chane ki Kheti Me Khad ka Prayog|चने की खेती में खाद का प्रयोग कब और कैसे करे|चने की फसल में यूरिया कब देना चाहिए?

Chane ki Kheti Me Khad ka Prayog: चना देश की सबसे प्राचीन महत्वपूर्ण दलहनी फसल है चने को दालों का राजा भी कहा जाता है चने की फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए चने की खेती में खाद का प्रयोग कब और कैसे करना चाहिए यह पता होना महत्वपूर्ण है क्योंकि चने की अच्छी पैदावार लेने के लिए खाद का प्रयोग और खेत में यूरिया का प्रयोग कब और कैसे करना चाहिए इसलिए इसकी सही जानकारी होना बहुत आवश्यक है।

चने की खेती करने के लिए शुष्क और ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है यह एक रबी मौसम की फसल है इसकी खेती करने के लिए सर्दी वाले क्षेत्र अधिक उपयुक्त होते हैं तथा इसकी खेती करने के लिए जलवायु का तापमान 24 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड होना बहुत अच्छा रहता है।

चने की खेती करने के लिए हल्की से भारी दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है इसकी खेती करने के लिए जल निकास की व्यवस्था करना बहुत आवश्यक होता है यदि भूमि में जल निकास की समस्या करके कम पैदावार प्राप्त होती है इसलिए जल विकास वाली भूमि में ही चलेगी खेती करना उपयुक्त रहता है।

खेत की अच्छे से तैयारी करने के बाद चने की बुवाई से पहले बीज उपचार करना बहुत आवश्यक होता है बीज उपचार और सही खाद के प्रयोग करने के बाद बुवाई करने से फसल में रोग और किट को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है और मिट्टी की उर्वरता में विधि होने के साथ-साथ पौधे को सभी पोषक तत्व उचित मात्रा में मिलते रहते हैं।

Chane ki Kheti Me Khad ka Prayog |चने की खेती में खाद का प्रयोग कब और कैसे करे

आज हम आपको चैन की खेती में खाद का प्रयोग कैसे और कब करना चाहिए बताने वाले हैं क्योंकि हमारी फसल में खाद का विशेष महत्व होता है जिसके द्वारा आप अपने फसल की पैदावार को दुगना कर सकते हैं खाद का सही मात्रा में प्रयोग करने से कम समय और कम मेहनत में अधिक पैदावार प्राप्त होती है।

विशेष रूप से चने की खेती में खाद का प्रयोग दो बार किया जाता है प्रथम बार चने की बुवाई करते समय खाद का प्रयोग किया जाता है जिसका बहुत बड़ा महत्व होता है बाय के समय खाद का प्रयोग करने से चने की खेती की पैदावार में बढ़ोतरी होती है और दूसरी बार खाद का प्रयोग पौधों पर फूल आने के समय किया जाता है।

चने की बुवाई के समय खाद का प्रयोग (Use of Fertilizer At the Time of sowing Gram)

किसान भाइयों चने की फसल को मुख्य रूप से नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश और सल्फर की आवश्यकता होती है इन चारों तत्वों की पूर्ति आपको बुवाई के समय करना है अब बात करें कि इन तत्वों की पूर्ति आप कौन-कौन से खादों के माध्यम से कर सकते हैं

तो आपको पहली चीज लेना है एन पी के 12 32 16 जिसमें नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश का कंबीनेशन आपको मिल जाएगा इसके आलावा सल्फर की पूर्ति के लिए अलग से सल्फर बेंटोनेट जो दानेदार दाल के रूप में आता है उसको आपको लेना है इन दोनों का प्रयोग करने से नाइट्रोजन फास्फोरस और पोटाश के साथ सल्फर की पूर्ति आपके खेत में हो जाएगी।

इन खादो की मात्रा के बारे में बात कर लेते हैं तो प्रति एकड़ 50 किलोग्राम एन पी के 12 32 16 लेना है इसके साथ ही 5 किलोग्राम सल्फर बेंटोनेट लेना है और इनका प्रयोग आप बुवाई के समय कर सकते हैं उसके बाद आप चने की बुवाई कर सकते हैं इनका प्रयोग करने से खर्च बिल्कुल नाम मात्र का आता है।

खाद और उर्वरक का प्रयोग करने से पहले मिट्टी की जांच कर लेना अच्छा रहता है उसी के आधार पर खाद और उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए चना एक दलहनी फसल है इसलिए इसको नाइट्रोजन की कम आवश्यकता होती है अगर नाइट्रोजन का ज्यादा प्रयोग जैसे कि यूरिया ज्यादा डाल देते हैं तो इससे चने की फसल की ऊंचाई वृद्धि ज्यादा हो जाती है।

जिससे फल फूल कम संख्या में आते हैं इसलिए अगर आप बुवाई के समय ही संतुलित खादों का प्रयोग करेंगे तो बाद में पौधे में पोषक तत्वों की कमी नहीं होगी और पौधे की ग्रोथ अच्छी होगी जिससे चने का जो उत्पादन है वह भी ज्यादा निकलेगा

चने की खेती में अच्छी पैदावार के लिए 15 टन सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग किया जाता है या आप 15 कुंतल वर्मी कंपोस्ट खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं खेत में सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग बुवाई से पहले करना चाहिए

चने की खेती में बुवाई के बाद खाद का प्रयोग (Use of Manure after sowing in Gram cultivation)

चने की खेती से बंपर पैदावार लेने के लिए चने की खेती में खाद का प्रयोग दो बार किया जाता है पहली बार चने की खेती में खाद का प्रयोग बाय के समय किया जाता है तथा दूसरी बार चले की खेती में खाद का प्रयोग पौधों पर फूल आने के समय किया जाता है यदि आप दोनों समय पर जीने की खेती में खाद का प्रयोग करते हैं तो आपको चैन की खेती से बंपर पैदावार देखने को मिल सकती है यदि दो बार खाद उपलब्ध न हो तो बुवाई के समय ही चने की खेती में खाद का प्रयोग करना चाहिए।

चने की खेती में दूसरी बार खाद का प्रयोग चने के पौधों की लंबाई 30 से 35 सेंटीमीटर हो जाती है तथा इस समय पौधों पर फूल आना प्रारंभ हो जाते हैं यह चने की खेती में दूसरी बार खाद प्रयोग करने का उपयुक्त समय होता है इस समय पर खाद के रूप में 20 किलोग्राम नाइट्रोजन और 20 किलोग्राम पोटेशियम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग किया जाता है।

खाद का प्रयोग करने के लिए हल या रोटावेटर प्रयोग कर सकते हैं और खाद को खेत की मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिला देना चाहिए जिससे वह मिट्टी की संरचना और वायु संचार में सुधार कर सके और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ा सके।

चने की फसल में यूरिया कब देना चाहिए? (When should Urea Be Given to Gram Crop?)

चने की फसल में यूरिया देने से पौधे का वृद्धि और विकास अच्छा होता है कृषि विभाग इंदौर के संयुक्त संचालक रेवा सिंह सिसोदिया के अनुसार फसल बुवाई करने के प्रथम सिंचाई करने पर पानी के रास्ते चने की खेती में 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से यूरिया का प्रयोग किया जाता है यदि अपने चने की देर से बुवाई की हो तो दो प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव फूल आने के समय करना बहुत लाभकारी रहता है।

चने की खेती में यूरिया का अधिक प्रयोग नहीं किया जाता है क्योंकि अधिक यूरिया का प्रयोग करने से पौधों का विकास और शाखा अधिक विकसित हो जाती है किंतु उनके ऊपर फूल और फल कम लगते हैं इसके अलावा यूरिया का अधिक प्रयोग करने से चने के पौधे पीले पड़ जाते हैं जिसके कारण उत्पादन कम हो जाता है इसलिए यूरिया का प्रयोग चने की खेती में केवल एक बार ही करना चाहिए।

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निष्कर्ष: –

चने की खेती में खाद प्रयोग (Chane ki Kheti Me Khad ka Prayog) और यूरिया का प्रयोग करने से फसल की पैदावार में वृद्धि होती है इसलिए पौधे के स्वस्थ और मजबूत उत्पादन के लिए खाद का सही मात्रा में प्रयोग करना आवश्यक होता है जिसके कारण किसानो की फसलों की पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि होती है अगर यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करें।

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