हाइब्रिड प्याज की खेती से लाखों मे कमाई | Pyaj ki Kheti की जानकारी 2024

हाइब्रिड प्याज की खेती से लाखों मे कमाई | pyaj ki kheti की जानकारी: दोस्तों आज आप लोगों को इस आर्टिकल प्याज का विवरण, प्याज का वर्गिकी, प्याज की किस्में, प्याज का फसल चक्र,  जलवायु, भूमि, खाद, खेती का समय, बीज की मात्रा, सिंचाई, प्याज की कटाई, प्याज का भंडारण, जानने को मिलेगा।

नमस्कार प्यारे दोस्तों आप लोगों के दिमाग में कभी ना कभी यह बात जरूर आई होगी कि हमें कुछ ऐसी खेती करनी चाहिए जिसकी एक तो डिमांड है. वह पूरे साल भर बनी रहे साथ ही जब वह फसल तैयार हो तो 2 या 3 दिन की मेहनत करने के बाद उस फसल को जब हम बाजार ले जाएं।

हम आपको ( pyaj ki kheti ) के बारे में बताने वाले हैं. जिसे करने के बाद आप लाखों की कमाई कर सकते हैं यह सब आप कैसे कर पाएंगे जाने के लिए लेख को लास्ट तक जरूर पढ़े।

Table of Contents

Pyaj ki Kheti का विवरण

भारत में व्यापारिक दृष्टिकोण से उगाई जाने वाली सब्जियों में सबसे प्रमुख फसल प्याज है प्याज की मुख्य रूप से खेती महाराष्ट्र तमिलनाडु आंध्र प्रदेश बिहार पंजाब उत्तर प्रदेश कर्नाटक गुजरात तथा मध्य प्रदेश में की जाती है महाराष्ट्र राज्य क्षेत्रफल और पैदावार में देश में प्रथम स्थान पर आता है तथा गुजरात दूसरे नंबर पर आता है।

प्याज का उत्पत्ति स्थान उत्तरी पश्चिमी भारत और अफगानिस्तान माना जाता है प्याज एक बल्ब वाली फसल है जो एक एलियन परिवार का सदस्य है यह अपने स्वाद और सुगंध के लिए प्रमुख रूप से प्रसिद्ध है प्याज में चरपराहट एक उड़ने वाले तेल एलाइल प्रोफाइल डाई -सल्फाइड के कारण होती है।

प्याज का वर्गिकी (Taxonomy of Onion)

आज एक लिलीऐसी कुल का पौधा है जो एक बल्ब के रूप में बढ़ता है और यह कंद संशोधित तना होता है. जो पत्तियों की कसकर भरी हुई पतियों से बना होता है प्याज की पत्तियां मसल्स होती है जो सल्फर योगी की उच्च मात्रा के साथ विशिष्ट पदार्थ और सुगंध लिए हुए होती है।

प्याज की किस्में (Onion Varieties)

( pyaj ki kheti ) की प्रजातियों में काफी विभिन्न ता पाई जाती है व्यापारिक दृष्टिकोण से जो उन्नतशील प्रजातियां उगाई जाती है उन्हें निम्न वर्गों में बांटा जा सकता है –

रंगो के आधार पर प्याज की किस्में (Onion varieties Based on color)

लाल रंग वाली प्याज :-

पूसा लाल, पूसारत्ना, पूसा माधवी, हिसार- 2 N -53 उदयपुर 101, उदयपुर 102, नासिक लाल, पंजाब सिलेक्शन, अलका निकेतन, अलका बिंदु अर्का कल्याण, एग्रीफाउंड डार्क रेड, एग्रीफाउंड लाइट रेड, कल्याणपुर रेड राउंड, लाल ग्लोब, हिसार 20, अलका प्रगति,

सफेद रंग वाली प्याज : –

पूसा सफेद चपटी, पोषा सफेद गोल, पटना सफेद, वाइट ग्लोब, नासिक सफेद, प्याज चयन 106,, प्याज चयन 131, पंजाब 48

पीले रंग वाली प्याज : –

अर्ली ग्रेनो, अर्ली येलो ग्लोब, येलो ग्लोब डेनवर्स, I.I.H.R. येलो इवेनेजर

प्याज की हाइब्रिड किस्में : –

वी एल – 67, एरिस्टोक्रेट, स्परटॉम इरा, फिस्टा, अर्का कीर्तिमान, अर्का ललिमाण्ड, अर्का कल्याणी

महाराष्ट्र की किस्में : –

N  404, N 491, N 53, N 2-4-1, N 207-1, N 5-8-2

प्याज का फसल चक्र (Onion crop Rotation)

  1. बैंगन – आलू – प्याज
  2. भिंडी – मटर – प्याज
  3. भिंडी – मूली – प्याज
  4. फूलगोभी (अगेती ) – प्याज

जलवायु (Climate)

प्याज एक शीत मौसम की फसल है जिसे विभिन्न प्रकार की जलवायु में भी उगाया जा सकता है लेकिन वह अत्यधिक गर्मी या ठंडी के बिना हल्के तापमान होना चाहिए प्याज की वृद्धि के लिए उपयुक्त तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस होता है प्याज कुछ पाले को भी सहन कर सकती है लेकिन अगर तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है तो पौधों को नुकसान होता है।

( pyaj ki kheti ) की अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए 15 से 21 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान लगभग 10 घंटे प्रतिदिन होना चाहिए और 70% आर्द्रता अच्छी रहती है प्याज की फसल विभिन्न जलवायु में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है प्याज को प्रतिवर्ष लगभग 650 से 750 मिमी वर्षा की आवश्यकता होती है।

भूमि (Land)

प्याज सभी प्रकार की भूमि में उगाई जा सकती है फिर भी बलवार दोमट तथा सिल्ट दोमट सर्वोत्तम रहती है भूमि में हूमस अच्छी मात्रा में होना चाहिए प्याज की खेती करने के लिए भूमि का चयन निम्न बातों को ध्यान में रखकर करना चाहिए जो नीचे दी गई है।

  • जड़ सड़न को रोकने के लिए प्याज में अच्छी जल निकास वाली मिट्टी का चयन करना चाहिए।
  • अधिक पैदावार लेने के लिए मिट्टी में पर्याप्त पोषक तत्व मौजूद होने चाहिए।
  • इसके लिए मृदा का पीएच मान है 6.0-6.8 सबसे उपयुक्त रहता है.
  • 6 इंच की गहराई जुताई करके खाद और जैविक पदार्थ डालकर रोपण के लिए तैयार करना चाहिए।
  • इसलिए चार से पांच जुताई करके खेत वह भूमि अच्छी प्रकार तैयार कर लेनी चाहिए।
  • मिट्टी किसी भी प्रकार के रोग या कीटों से प्रभावित नहीं होनी चाहिए।

खाद एवं उर्वरक (Manure and Fertilizer)

प्याज की अच्छी पैदावार लेने के लिए 100 किलोग्राम नत्रजन 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 100 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है इसके अलावा 25 से 30 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टर खेत की तैयारी के समय अच्छी प्रकार से मिट्टी में मिला देनी चाहिए।

खाद देते समय कुछ सुझाव (Some tips while fertilizing)

  • मिट्टी में नमी होने पर खाद देना चाहिए।
  • अधिक खाद का प्रयोग नहीं करना चाहिए इससे पत्तियां जल सकती है.
  • खाद देने के बाद पानी देना चाहिए।
  • खाद देने से पहले खरपतवार नियंत्रण करना चाहिए।
  • पोटाश के समतुल्य उर्वरक पौधे रोपने के समय भूमि में मिला देने चाहिए।
  • नत्रजन की आधी मात्रा रोपाई से पहले खेत तैयार करते समय मिट्टी में मिला देनी चाहिए।
  • और नत्रजन की आधी मात्रा एक महीने बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में देनी चाहिए।
  • मुर्गियों की खाद डीएपी यूरिया का भी प्रयोग करना चाहिए।

प्याज की खेती का समय (Onion cultivation Time)

( pyaj ki kheti ) का समय मैदानी भागों में अक्टूबर से नवंबर में बोई जाती है तथा पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च से जून तक बुवाई की जाती है प्याज के बोने के समय कुछ सुझाव नीचे दिए गए।

  • सबसे पहले मिट्टी की 6 इंच की गहराई तक जुताई करके मिट्टी को तैयार कर लेना चाहिए।
  • जल निकास की व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
  • उर्वरता में सुधार के लिए मिट्टी में खाद मिलाना चाहिए।
  • बुवाई के बाद पानी देना चाहिए।
  • अंकुरण निकलने तक मिट्टी नम रखना चाहिए।

बीज की मात्रा (Amount of Seed)

प्याज की नर्सरी तैयार करने के लिए 8 से 10 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर खेत के लिए पर्याप्त होता है और जहां पर रोपाई नहीं की जा सकती है वहां पर इसके बीज को सीधे खेत में बोया जाता है सीधे खेत में बोने के लिए बीज की मात्रा लगभग 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है।

प्याज की बुवाई कैसे की जाती है? (How is onion sown?)

सीधे खेत में रोपाई करना – जहां पर रोपाई नहीं की जा सकती है वहां पर सीधे बीज को खेत में बो दिया जाता है सीधे खेत में बोने के लिए बीज की मात्रा 20 से 25 किलोग्राम प्रति हेक्टर आवश्यकता होती है।

कंद के द्वारा बुवाई करना – इसका प्रयोग शीघ्र हरी फसल लेने के लिए मध्यम आकार के बल्ब की बुवाई की जाती है इसकी बुवाई के लिए 10 से 12 कुंटल कंद प्रति हेक्टर आवश्यक होते हैं।

बीच की दूरी (Distance Between)

( pyaj ki kheti ) में अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए पौधे से पौधे की दूरी लाइन से लाइन की दूरी का खास ख्याल रखना चाहिए पौधे से पौधे की दूरी अधिक नजदीक नहीं रखनी चाहिए क्योंकि ऐसा करने से फसल में रोग और कीट आसानी से फैलते हैं।

इसीलिए पौधे से पौधे की दूरी 10-14 सेंटीमीटर रखनी चाहिए और लाइन से लाइन की दूरी लगभग 7 से 8 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

प्याज की खेती में खरपतवार नियंत्रण (Weed control in onion Cultivation)

प्याज की अच्छी पैदावार लेने के लिए खेत को खरपतवार से मुक्त रखना चाहिए प्याज में खरपतवार नियंत्रण हाथों की सहायता से ही करना चाहिए क्योंकि प्याज एक उथली जड़ वाली फसल है यदि कृषण क्रियाओं से जड़ कट जाए तो कन्दो की बढ़वार रुक जाती है।

टेनोरान 2.5 का किलोग्राम प्रति हैक्टर रोपाई के 3 सप्ताह बाद 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए दो से तीन बार खुरपी से निराई गुड़ाई करनी चाहिए।

प्याज में सिंचाई कब करें ? (When to irrigate onion)

( pyaj ki kheti ) प्याज की खेती में सामान्य रूप से 10 से 15 सिंचाई की आवश्यकता होती है प्याज को पानी की अधिकतम आवश्यकता रोपाई के 3 महीने तक होती है हल्की सिंचाई कम अंतराल पर देने से अधिक लाभ होता है रोपाई के 1 महीने तक हल्की सिंचाई ही करनी चाहिए।

सिंचाई की मुख्य आवश्यकता कल बनने के समय बहुत आवश्यक होती है सिंचाई खुदाई के 3 से 4 दिन पहले करनी चाहिए प्याज के कंद बनकर तैयार हो जाए और पत्तियां ऊपर से हल्की पीली पड़ जाए उस समय पर सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।

प्याज की कटाई (Onion Harvesting)

हरी प्याज को छोटे-छोटे कंद बन जाने पर इनको उखाड़ कर बेच दिया जाता है इसके अलावा पके हुए कंद कटाई करने के लिए यह ध्यान रखना चाहिए की सभी पत्तियां बीच में से मुड़कर नीचे की ओर गिर रही हो तथा ( pyaj ki kheti ) पूरी तरह से पक कर तैयार हो चुकी हो उस समय खेत से निकाल कर घर पर स्टोर कर सकते हैं या मंडी में बेचने जा सकते हैं इस समय पर सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।

प्याज का भंडारण (Onion Storage)

प्याज के भंडारण के लिए जीरो डिग्री सेंटीग्रेड तापमान सबसे उपयुक्त होता है प्याज के खराब होने के दो प्रमुख कारण होते हैं प्रथम कारण प्याज का सड़ना तथा दूसरा कारण प्याज का अंकुरण का निकलना जीरो डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर आद्रता भंडारण के अनुकूलन होती है।

फसल की खुदाई करने से पहले maleic hydrazide का पत्तियों के ऊपर छिड़काव करने से प्याज का अंकुरण निकलना बंद हो जाता है।

हाइब्रिड प्याज की उपज (Hybrid onion yield)

प्याज की हाइब्रिड की पैदावार देसी किस्मों से कहीं ज्यादा होती है हाइब्रिड किस्मों की पैदावार लगभग 350 से 450 कुंटल तक होती है पूसा रतनार किस्मो से किसान प्रति हेक्टेयर 400 से 500 कुंटल तक प्याज की पैदावार प्राप्त कर रहे हैं यह 120 से 130 दिन में तैयार हो जाती है।

निष्कर्ष : –

हम आशा करते हैं कि आपके लिए समक्ष प्रस्तुत किए गए लेख हाइब्रिड प्याज की खेती से लाखों मे कमाई | Pyaj ki Kheti की जानकारी को पढ़ने के बादआपको बहुत लाभ होगा अगर यह पोस्ट आपको अच्छी लगी हो तो इसे अपने मित्र जनों के साथ जरूर साझा करें और अपने सुझाव विचार या खेती से जुड़े किसी भी प्रकार के प्रश्न को हम से पूछना ना भूले।

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